कोरोना के साथ उत्तर प्रदेश में जारी है अंधविश्वास का प्रकोप, लोग दिये जलाकर और कुएं में पानी डालकर महामारी का कर रहे “इलाज”

डेविड तालुकदार/नूरफोटो/गैटी इमेजिस

कहते हैं कि सच जब तक जूते पहनता है, तब तक झूठ पूरी दुनिया का चक्कर लगा आता है. फिलहाल यह हाल उत्तर प्रदेश के गांवों का है जहां कोरोनावायरस को लेकर तरह-तरह की अफवाहें फैल रही हैं. 19 मार्च को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जैसे ही रविवार 22 मार्च को “जनता कर्फ्यू” और “थाली-ताली बजाने” की अपील भारत के लोगों से की, वैसे ही उत्तर प्रदेश के गांवों में नाना प्रकार की अफवाहें तेजी से फैलने लगीं.

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की शोध छात्रा प्रियंका राजभर ने मुझे फोन पर बताया कि उनकी सास ने उन्हें बताया है कि कोरोना से बचने के लिए गांव में जितने पुरुष हैं, उतने आटे के दिये जलाए जाएंगे.

प्रियंका की शादी पिछले साल हुई थी और वह फिलहाल अपनी ससुराल रामगढ़वा गांव में रह रही हैं. प्रियंका ने मुझे बताया कि सास का हुक्म है कि दियों को शाम के समय घर की देहरी पर रखना है और उससे पहले स्नान कर पैर पर हल्दी लगाकर देहरी वाली दीवार के दोनों ओर पैरों की छाप लगानी है. प्रियंका ने आगे बताया कि घर की बड़ी-बूढ़ी औरतें आजकल हर रोज थाली बजाती हैं और “कोरोना को भगाती हैं.”

प्रदेश के आजमगढ़ जिले के गुरेथा गांव की अंकिता सिंह ने मुझे फोन पर बताया कि जनता कर्फ्यू के पहले से ही यहां लोगों में यह अफवाह फैलने लगी थी कि “मोदी जी हवाई जहाज से दवाई छिडकेंगे इसलिए किसी को घर से नहीं निलकना है.” अंकिता ने बताया कि यहां लोगों से कहा गया है कि कोरोना से बचने के लिए घर में हर रोज नियमित पूजा पाठ करना, नीम के पेड़ के पास दिया जलाना और पेड़ को दो लोटा जल चढ़ाना और घर की चौखट पर लोहबान (लोबान) और कपूर का दिया रखना है. अंकिता ने बताया कि घर के बाहर गाय के गोबर से ऊँ नमः शिवाय लिखने को कहा जा रहा और बुजुर्ग महिलाओं से हर शाम थाली बजाने को.

प्रदेश के शामली जिले के जलालाबाद गांव के रहने वाले संदीप प्रजापति को 22 तारीख की सुबह तकरीबन 3 बजे उनकी बहन ने फोन कर नींद से जगा दिया. बहन ने संदीप से कहा, “कोई खेड़ा पलट गया है (यानी गांव धस गया है) और जो सो रहा है वह पत्थर का बन रहा है.” संदीप ने मुझे शामली से फोन पर बताया, “इस अफरा-तफरी में सब को जगाया गया और देखते ही देखते पूरा गांव जाग गया.” संदीप ने बताया कि शाम को सभी गांववालों ने अपने घरों की दहलीज पर दिया जलाया.

बागपत जिले के धनौरा सिल्वर नगर गांव के शेर खान ने मुझे फोन पर बताया कि लोगों में कोरोना को लेकर अच्छी खासी चर्चा है और उनके गांव में लोग इस बीमारी के इलाज के तरह-तरह के नुस्खे बता रहे हैं. शेर खान के गांव के लोगों का विश्वास है कि गुड़ की चाय पीन और उसमें एक जोड़ा यानी दो लॉन्ग की फल्लियां डालकर पीने से कोरोना खत्म हो जाता है. शेर खान को भी 22 तारीख को सुबह 3 बजे फोन आया था कि जो सो रहे हैं वह पत्थर का हो जा रहा है. अगले दिन लोग मस्जिद जाकर हाफिज से ताबीज पढ़वा कर अपने घरों के सामने रखने लगे.

सुप्रीम कोर्ट में वकील और उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले अभिषेक यादव ने मुझे बताया कि उनको गांव से मामा का फोन आया था कि कोरोना का कारण सूर्यग्रहण है. “मामा ने कहा था कि ‘सूर्यग्रहण की वजह से सभी नकक्षत्र बिगड़े हैं और यह सब (कोरोना) शनि का प्रकोप है.’”

नेपाल बॉर्डर के पास स्थित उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के सिमरई गांव में रहने वाले अनुज कुमार ने मुझे फोन पर बताया कि उनके गांव में काफी पहले से लॉकडाउन की स्थिति है. अनुज ने मुझे बताया कि गांव में ऐसी अफवाह फैली है कि जिसके घर जितने लड़के (बेटे) हैं उस घर की महिला को नल से उतनी बाल्टी पानी निकाल कर कुंए में डालना है और अपने सीधे हाथ में उतनी ही संख्या में हरे रंग की चूड़ियां पहननी है लेकिन “इन चूड़ियों का पैसा पड़ोसी से लेना है.” अनुज ने बताया कि यहां कि महिलाओं ने पहले कुंए में पानी डाला, फिर हाथ में हरे रंग की चूड़ी पहनी और इसके बाद घर के बाहर आटे के दीये में सरसों का तेल रख कर जलाया. इसी तरह चंदौली की पूजा ने भी मुझे बताया कि उनके गांव में भी लोग अपने घरों के बाहर आटे के दीये जला रहे हैं.

घरों के बाहर आटे के दिये जलाने की खबर बलिया जिले के कुत्तूपुर और कुनैई गांवों से, कानपुर देहात के टिकवा गांव, कुशीनगर के जोहिनेरेन्द्र गांव और प्रदेश के अन्य इलाकों से भी मिल रही है.

इन सब के साथ कोरोना के नाम पर ठगी का धंधा भी चालू हो गया है. मेरठ के मवाना में लोग कोरोना के नाम पर चंदा उठा रहे हैं. वहां हर बच्चे के नाम पर पांच रुपए का चंदा मांगा जा रहा है और कहा जा रहा है कि इन पैसों का प्रसाद शिव मंदिर पर चढ़ाया जाएगा और जो लोग चंदा नहीं देंगे उन्हें कोरोना मार देगा. मवाना के रहने वाले अमित ने बताया कि उनके दादा, जो साहरनपुर के जजवा गांव में रहते हैं, ने फोन कर बताया था कि “किसी जगह तीन मुंह वाली लड़की पैदा हुई है जिसकी वजह से कोरोना हो रहा है.” अमित ने बताया कि पूरे गांव के लोग रोज रात 8 बजे अपने खेतों में जाकर पितरों के नाम का दिया जला रहे हैं.

मिर्जापुर के अदलपुरा शीतलता माता मंदिर के पुजारी चंदन साहनी ने मुझे बताया कि उनके गांव के लोग मंदिर में आ कर दिया जला रहे हैं औऱ रातभर जाग रहे हैं क्योंकि “उनको लगता है कि अगर वे सोएंगे तो पत्थर के बन जाएंगे.” साहनी ने बताया कि देवताओं की नाराजगी के डर से यहां की औरतें गांव के देवता डीह बाबा को दूध चढ़ा रही हैं.

सोनभद्र में काम कर रहे संस्कृतिकर्मि और गायक युद्धेश बेमिसाल ने मुझे बताया कि उनके गांव में लोग “खूब कढ़ा पी रहे हैं और लसहुन खा रहे हैं. लोग सुबह-शाम पीपल में जल दे रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि सभी देवता इसमें बसते हैं और ये देवता सब ठीक कर देंगे.”

उत्तर प्रदेश के गांवों में अंधविश्वासों के इस कदर हावी होने जाने के पीछे एक कारण यह भी कि इन गांवों के डॉक्टर मरीजों को देखने से इनकार कर रहे हैं. आजमगढ़ की अनुपमा सिंह ने मुझे बताया, “अफवाह तो ठीक है मगर गांव में कोई भी डॉक्टर मरीज को नहीं देख रहा है जिससे मरीजों का हाल और बुरा हो गया है.” चित्रकूट के विकास मौर्य ने मुझे बताया कि उनके यहां कोरोना के चलते दूसरी बीमरियों वाले मरीजों के साथ भी अच्छा बर्ताव नहीं किया जा रहा है.

मैंने उत्तर प्रदेश के इस तरह अंधविश्वास और अफवाहों की चपेट में आ जाने के पीछे के कारणों को समझने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर रामाज्ञा शशिधर से बात की. शशिधर ने बताया कि ऐसी अफवाहों के पीछे कई बातें साथ काम करती हैं. उन्होंने कहा, “हमारे समाज में आजादी के लंबे अर्से बाद भी तर्कशील बौद्धिक चेतना का विकास नहीं हो पाया है जिसका कारण एक तो धर्म में ही अंधविश्वास का मौजूद होना है और दूसरा यह कि जिस तरह से समाज को शिक्षित होना चाहिए था वह नहीं हो पाया.”

शशिधर ने कहा, “पिछले छह सालों में तो हमारी सरकार, मीडिया और यहां तक कि हमारे वैज्ञानिकों ने भी खुलकर सारी समस्याओं का हल गाय, गाय के गोबर और गाय के पेशाब में खोजा है और इतना ही नहीं सारा आधुनिक ज्ञान, विज्ञान भी हमारे नेताओं ने वेद-पुराण और धर्मशास्त्रों में खोजने का काम किया है.”