भारत के अग्रणी फॉरेन्सिक विशेषज्ञों में एक डॉ. आरके शर्मा, जो दिल्ली के भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में फॉरेन्सिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग के प्रमुख रह चुके हैं और 22 साल तक इंडियन असोसिएशन ऑफ मेडिको-लीगल एक्सपर्ट्स के अध्यक्ष रहे हैं- ने जज बृजगोपाल हरकिशन लोया की मौत से जुड़े मेडिकल कागज़ात की जांच करने के बाद इस आधिकारिक दावे को खारिज कर दिया है कि लोया की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी. शर्मा के अनुसार ये कागज़ात दिखाते हैं कि लोया के मस्तिष्क को संभवत: कोई आघात पहुंचा हो और यह भी मुमकिन है कि उन्हें ज़हर दिया गया हो.
शर्मा ने लोया की पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट और संबंधित हिस्टोपैथोलॉजी रिपोर्ट- जिसमें लोया के बिसरा का नमूना शामिल था जिसे केमिकल अनालिसिस के लिए भेजा गया था- में केमिकल अनालिसिस के नतीजों पर कारवां से बात की. इनमें से कुछ दस्तावेज़ सूचना के अधिकार के आवेदन के माध्यम से हासिल किए गए हैं जबकि कुछ अन्य कागज़ातमहाराष्ट्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र गुप्तचर विभाग की रिपोर्ट के पूरक के तौर पर साथ में नत्थी कर के जमा कराए गएहैं. गुप्तचर विभाग की रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि लोया की मौत को लेकर कोई संदेह नहीं है. शर्मा की राय इस निष्कर्ष से जुदा है.
शर्मा ने बताया, ''हिस्टोपैथोलॉजी रिपोर्ट में मायोकार्डियल इनफार्कशन का कोई साक्ष्य नहीं है. इस रिपोर्ट के नतीजे दिल के दौरे की ओर इशारा नहीं करते. इनमें बदलाव दर्शाए गए हैं, लेकिन यह दिल के दौरे से नहीं जुड़ा है.''
शर्मा ने कहा, ''पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट यह भी कहती है कि उनकी धमनियों में कैल्सीकरण दिखाई दे रहा है. जहां कैल्सीकरण होता है, वहां दिल का दौरा नहीं हो सकता. एक बार धमनियों में कैल्शिम जम जाए तो वे रक्त प्रवाह को बाधित नहीं करेंगी.''
बताया गया है कि लोया ने अपनी मौत की रात करीब 4 बजे तबियत खराब होने की शिकायत की थी और उन्हें सुबह 6.15 बजे मृत घोषित कर दिया गया. शर्मा कहते हैं, ''इसका मतलब दो घंटे लगे, यदि (दिल के दौरे) के लक्षण के बाद 30 मिनट से ज्यादा कोई जिंदा रह जाए तो दिल में साफ़ बदलाव देखे जा सकेंगे. यहां कोई स्पष्ट बदलाव नहीं दिख रहा.''
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