जज लोया की मौत: रिकॉर्ड में संभावित हेरफेर और ताजा बयानों में विसंगतियों से उठते गंभीर सवाल

27 दिसंबर 2017
रवि भवन का उपस्थिति रजिस्टर लोया की आखिरी रात को उनके वहां रुकने से जुड़ी प्रविष्टियों से ठीक पहले दर्ज तीन रिक्तियां और तारीखों में हेरफेर को दर्शाता है. रजिस्टर में इसके अलावा और कहीं भी कोई रिक्त प्रविष्टि नहीं है.
रवि भवन का उपस्थिति रजिस्टर लोया की आखिरी रात को उनके वहां रुकने से जुड़ी प्रविष्टियों से ठीक पहले दर्ज तीन रिक्तियां और तारीखों में हेरफेर को दर्शाता है. रजिस्टर में इसके अलावा और कहीं भी कोई रिक्त प्रविष्टि नहीं है.

जज बृजगोपाल हरकिशन लोया- जिन्‍होंने सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई की थी जिसमें मुख्‍य आरोपी भारतीय जनता पार्टी के अध्‍यक्ष अमित शाह थे- के परिवार के सदस्‍यों ने 2014 में नागपुर यात्रा के दौरान कथित रूप से अचानक उन्‍हें दिल का दौरा पड़ने से हुई उनकी मौत को लेकर तमाम सवाल उठाए हैं. कारवां ने पिछले महीने इन्‍हीं सवालों पर अपनी पहली रिपोर्ट प्रकाशित करने से लेकर अब तक लगातार जारी अपनी पड़ताल में लोया की जिंदगी की आखिरी रात की परिस्थितियों से जुड़ी अब तक सार्वजनिक की गई सूचना में संभावित गड़बड़ी और छेड़छाड़ पाए जाने के संकेतों को उजागर किया है. इनमें उस सरकारी अतिथि गृह का उपस्थिति रजिस्‍टर शामिल है जहां वे रुके हुए थे और उस दांडे अस्‍पताल में तैयार की गई ईसीजी रिपोर्ट भी शामिल है जहां तबियत खराब होने पर उन्‍हें कथित तौर पर सबसे पहले ले जाया गया था.

करवां ने जब यह स्‍टोरी प्रकाशित की, उसके बाद से अब तक कई स्रोत सामने आए हैं और उन्‍होंने जज के अंतिम समय का विवरण बताने की पेशकश की जो कि लोया के परिजनों की गवाहियों से बिलकुल भिन्‍न थे. बॉम्‍बे उच्‍च न्‍यायालय के दो सेवारत जजों ने चुनिंदा मीडिया प्रतिष्‍ठानों के सामने अपनी बात रखने का फैसला किया- और ऐसा करने के क्रम में उन्‍होंने न्‍यायिक आचार संहिता का अपवादस्‍वरूप खुलकर उल्‍लंघन किया- ताकि किसी भी गलत कृत्‍य की संभावना को खारिज किया जा सके, जबकि लोया की मौत की जांच अब भी पुलिस कर रही है. इन्‍हीं जजों की मानें तो इन्‍होंने आखिरी रात लोया को तब तक नहीं देखा जब तक कि वे दांडे अस्‍पताल से मेडिट्रिना इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ नहीं लाए गए, जहां उन्‍हें मृत घोषित किया गया था.

लोया की मौत की परिस्थितियों से जुड़े नए विवरण कई मीडिया प्रतिष्‍ठानों में नागपुर से की गई फॉलो-अप रिपोर्टों में सामने आए थे, जिनमें इंडियन एक्‍सप्रेस और एनडीटीवी शामिल थे. जब अमित शाह से जब लोया के केस के बारे में पूछा गया तो उन्‍होंने ''ज्‍यादा तटस्‍थ'' नज़रिये के लिए इंडियन एक्‍सप्रेस की कवरेज देखने की सलाह दी. करीबी पड़ताल करने पर ऐसी कोई भी रिपोर्ट दुरुस्‍त नहीं ठहरती है जबकि इनके विवरणों के बीच ही आपस में काफी विसंगति हैं. हमने खुद जब नागपुर से फॉलो-अप रिपोर्ट की तो हमें लोया की आखिरी रात से जुड़े नए विवरण दिए गए और ये विवरण भी दूसरे संस्‍थानों को दिए गए विवरणों से मेल नहीं खाते.

अतुल देव कारवां के स्‍टाफ राइटर हैं.

अनोश मालेकर पुणे के पत्रकार हैं. उन्हें भारत की सैर करना और ​​समाज के हाशिए के लोगों पर लिखना पसंद है. द वीक और द इंडियन एक्सप्रेस में काम कर चुके हैं और पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित हैं.

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