बनारस के जैन छात्रावास से पुलिस ने छात्रों को जबरन निकाला

01 अक्टूबर 2022

बनारस में लंका क्षेत्र के नारिया इलाके में वर्ष 1953 में बने साहू शांति प्रसाद शाहू जैन छात्रावास में कई वर्षों से गरीब व निर्धन तबके के बच्चे रह कर अध्ययन करते आ रहे हैं. इस छात्रावास में कुल 28 कमरे हैं जिनमें करीब 60 निर्धन छात्र रहते हैं. लेकिन पिछले कुछ समय से पुलिस उन सभी को परेशान कर वहां से बाहर निकालने की कोशिश में कई तरीके अपनाती रही है. आखिरकार बीती 24 तारीख को पुलिस को सफलता मिल गई.

सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले भगतसिंह छात्र मोर्चा के उपाध्यक्ष विनय शर्मा ने हमें बताया कि इस जगह पर जैन समाज की दो इमारत और हैं एक मंदिर की और एक लाइब्रेरी. यहां यह हॉस्टल सबसे पुराना है. जिसे शाहू शांति प्रसाद जैन ने बनवाया था. जो एक ट्रस्ट के नाम पर था. यहां एक छात्रावास के नामका शिला पट्ट भी लगा है. “बीते कुछ महीनों से यहां पुलिस का आना-जाना बढ़ गया था. वे समय-समय पर आकर छात्रों से नाम, पता, आधार नंबर और कॉलेज का पहचान पत्र देखने के बाद उन्हें यहां से निकल जाने की धमकी देकर जाते थे. कई दिनों से यह लगतार हो रहा था. जिस दिन हम मामले पर मंडलायुक्त को ज्ञापन दे कर आए उसी शाम को लंका थाना से भारी संख्या में पुलिस यहां आ पहुंची और बात करने के बहाने 8 लोगों को थाने ले गई. लेकिन वहां ले जाकर अन्य कैदियों के साथ हमें बैठा दिया. साथ ही हमारे पर्स, मोबाइल, बेल्ट सबकुछ ले लिया. मेरे साथ पुलिस ने बर्बरता से मरपीठ भी की. बाद में वहां हमारे खिलाफ शिकायत करने वाले जैन समाज के लोगों को बुलाया गया लेकिन पुलिस सिर्फ उन्हीं का पक्ष ले रही थी. जब वहां बात नहीं बनी तो हमें सी ओ के पास भेलूपुर थाना में ले जाया गया. वहां सीओ ने हम लोगों को डरा-धमकाकर और सादे कागज पर दस्तखत करवा लिए. पुलिस ने रात के करीब दो बजे हमें थाने से जाने की अनुमति दी. हमने रात को ही वापस आकर अपना कमरा खाली कर दिया.”

बीएचयू के शोधार्थी मन्नू कुमार ने हमें बताया कि वह मई के महीने में एक बार कुछ छात्रों का आपस में झगड़ा हुआ था. उसके बाद से पुलिस की गतिविधियां यहां अक्सर बढ़ गई. उन्होंने बताया, “कभी वे बिजली काट देते थे. जिससे परेशान होकर बहुत से छात्र यहां से चले गए थे. तभी से ही पुलिस का डराना-धमकाना जारी रहा. मंडलायुक्त को ज्ञापन देने के बाद उसी दिन शाम को पुलिस हमें बेरहमी से अपने साथ ले गई और कमरे खाली कराने के लिए जबरजस्ती सादे कागज पर हस्ताक्षर करवाए. अगले ही दिन वहां पर 24 तारीख शाम 5 बजे तक कमरे खाली करने का आदेश लगा दिया गया. और उस आदेश की तारीख उस पर 11 सितंबर लिखी गई पर वह लगा 24 तारीख की सुबह था. पुलिस बात-बात पर हमारा केरियर खत्म करने की धमकी देती रही. अब एक आम छात्र तो इन बातों से ऐसे ही डर जाता है इसलिए सभी ने 24 की सुबह तक कमरे खाली कर दिए. कुछ छात्र उस समय वहां नहीं थे तो पुलिस ने उनके ताले तोड़कर उनका समान बाहर फेंक दिया, जिसमें उनकी मार्कसीट और दूसरी कीमती चीजें थी. हम सभी के साथ पुलिस गुंडों जैसा व्यवहार कर रही थी.”

विनय, राजेन्द्र चौधरी, मनु, सुरेश व बृजेश ने पुलिस कमिश्नर को दिए अपने ज्ञापन में लिखा कि वे सभी साहू शांति प्रसाद जैन छात्रावास में एक लंबे अरसे से रहकर पढ़ा- लिखाई व नौकरी की तैयारी करते हैं. यह छात्रावास निर्धन छात्रों और असहाय गरीब लोगों के लिए बनाया गया है. पिछले कुछ दिनों से कुछ संदिग्ध भू-माफिया व बदमाश किस्म के लोग लंका की थाना पुलिस से मिलीभगत करके उन सभी लोगों को गैर कानूनी तरीके से छात्रावास से बेदखल करना चाहते हैं. उन्होंने लिखा कि कुछ अज्ञात पुलिसकर्मियों ने प्रार्थीगण के छात्रावास पर चढ़ाई कर मां-बहन की भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए प्रार्थीगण के कमरों में घुसकर प्रार्थीगण से मारे-पिट की और हमें थाने में ले जाकर गैर-कानूनी तरीके से बंद कर दिया. प्रार्थीगण के यह पूछने पर कि वे लोग बिना किसी नोटिस या सूचना के आधार पर कमरा खाली कराने की बात कर रहे हैं, पुलिस ने उन्हें फर्जी केस में जेल में सड़ाने की धमकी दी. जिन लोगों की सह पर पुलिस कमरा खाली कराना चाहती है वे खुद उस छात्रावास के मालिक नहीं हैं और वे लोग उक्त छात्रावास को अवैध तरीके से कब्जा करना चाहते हैं.

समाजवादी जनपरिषद के महामंत्री अफलातून देसाई ने इस छात्रावास की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जैन-धर्म दर्शन, जैन धर्म साहित्य और निर्धन छात्रों हेतु निशुल्क छात्रावास, पुस्तकालय और शोध के लिए देश के बौद्धिक एवं शैक्षणिक जगत में विख्यात 'सन्मति जैन निकेतन' के महत्वपूर्ण उद्देश्यों को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए वाराणसी पुलिस कमिश्नर की मदद से इसे धर्मशाला कहकर अतिक्रमण मुक्त करने की वाहवाही लूटने का प्रयास हो रहा है. वास्तव में इस परिसर में धर्मशाला कभी थी ही नहीं. काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर के पड़ोस में नरिया मोहल्ले में जैन मंदिर तथा जैन छात्रावास टाइम्स ग्रुप के अध्यक्ष रहे स्व. शांतिप्रसाद जैन के सहयोग से 'सन्मति जैन निकेतन काशी' के गरीब छात्रों के लिए इसकी स्थापना वर्ष 1953 में की गई थी. दो महान प्रतिष्ठित विभूतियों के नाम भक्ति और तपश्चर्या सन्मति जैन निकेतन से जुड़े हुए हैं. जैन संत गणेश वर्णी की धर्म साधना पर शोध तथा साहित्य प्रकाशन का कार्य पंडित फूलचंद शास्त्री ने किया और स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक फूलचंद शास्त्री के पुत्र प्रोफेसर अशोक कुमार जैन इस परिसर में स्थित गणेश वर्णी शोध प्रतिष्ठान के सचिव हैं.

सुनील कश्यप कारवां के स्टाफ राइटर हैं.

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