16 नवंबर को जम्मू और कश्मीर पुलिस ने दावा किया कि उसने एक आतंकवादी हैदर और उसके सहयोगी आमिर अहमद को मुठभेड़ में मार गिराया है. पुलिस के अनुसार, इमारत के मालिक अल्ताफ भट्ट और दांतों के डॉक्टर तथा कारोबारी किराएदार मुदासिर गुल भी सर्च ऑपरेशन के दौरान मारे गए.
पुलिस ने आगे दावा किया कि उसके द्वारा की गई जांच के मुताबिक गुल आतंकवादियों का सहयोगी था. पुलिस ने अहमद, भट्ट और गुल के शवों को उनके परिवारों को लौटाए बिना ही अपने आप कुपवाड़ा जिले में आतंकवादियों के लिए बने एक कब्रिस्तान में दफना दिया. तीनों के परिजनों ने उनके आतंकवादियों के साथ संबंध होने की बात से से इनकार किया है. घाटी में काफी आक्रोश फैलने के बाद भट्ट और गुल के शवों को वापस निकालकर लौटा दिया गया. लेकिन 24 वर्षीय अहमद का शव उसके परिवार को नहीं लौटाया गया. उसका परिवार, जिसमें भारतीय सेना के पूर्व मुखबिर उसके पिता भी शामिल हैं, शव को वापस करने के लिए लगातार गुहार लगा रहे हैं.
18 नवंबर को जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने एक अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सैन्य कार्रवाई की जांच का आदेश दिया. अहमद, भट्ट और गुल के परिवारों ने बताया कि 22 नवंबर तक भी उनसे पूछताछ के लिए किसी ने भी संपर्क नहीं किया है. भारतीय सेना और जम्मू और कश्मीर पुलिस ने कारवां द्वारा भेजे गए प्रश्नों का कोई जवाब नहीं दिया.