एशिया का पहला समाचार पत्र शुरू करने वाले ऑगस्टस हिक्की पर हमले का इतिहास

27 दिसंबर 2022
1781 में हिक्कीज बंगाल गजट की एक प्रति का पहला पन्ना. हिक्की स्वयं को बोलने की स्वतंत्रता के रक्षक के रूप में देखते थे.
सौजन्य : हीडलबर्ग विश्वविद्यालय
1781 में हिक्कीज बंगाल गजट की एक प्रति का पहला पन्ना. हिक्की स्वयं को बोलने की स्वतंत्रता के रक्षक के रूप में देखते थे.
सौजन्य : हीडलबर्ग विश्वविद्यालय

भारत के पहले समाचार पत्र पर लिखी एंड्रयू ओटिस की किताब हिक्कीज बंगाल गजट : द अनटोल्ड स्टोरी में कलकत्ता में रहते हुए 1780 में एशिया का पहला मुद्रित समाचार पत्र शुरू करने वाले पत्रकार जेम्स ऑगस्टस हिक्की के संघर्षों  के बारे में बताया गया है. इस समाचार पत्र के जरिए उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन पर सवाल उठाए; पोलिलुर की लड़ाई के भयावह प्रभावों को सबके सामने पेश किया और चर्च और ईस्ट इंडिया कंपनी में चल रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया और प्रेस की स्वतंत्रता की वकालत की. ओटिस को लगता है कि हिक्की का समाचार पत्र विरोधाभासी किस्म का था. उदाहरण के लिए, उन्होंने महिलाओं के चरित्र के बारे पारंपरिक पुर्वाग्रहों का समर्थन करने वाले लेखों को छापा और साथ ही यह तर्क दिया कि महिलाओं को अपनी कामुकता पर नियंत्रण रखना चाहिए.

ओटिस बताते हैं कि हिक्की की विरासत अत्यधिक सरलीकरण और गलतफहमी से जुड़ी रही है. वह लिखते हैं, "ब्रिटिश साम्राज्य काल के दौरान विद्वानों ने हिक्की को ब्रिटिश साम्राज्य को कमजोर करने वाले एक बदमाश और कपटी के रूप में देखा." कुछ हालिया इतिहासकार इसके वितरित दावा करते हैं कि हिक्की का अखबार पत्रकारिता के क्षेत्र में बेजोड़ और अद्वितीय रत्न की तरह था. पत्रकार के जीवन और कार्य के बारे में बताने वाली ओटिस की पुस्तक अखबार की कुछ शेष प्रतियों और हिक्की के पत्रों सहित अभिलेखीय शोध पर आधारित है.

सर्वप्रथम वेस्टलैंड द्वारा प्रकाशित की गई और हाल ही में पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा पुनर्प्रकाशित इस पुस्तक के नीचे दिए गए अंश में ओटिस ने हिक्की की गिरफ्तारी का वर्णन किया है. अपने पेपर के माध्यम से हिक्की ने विशेष रूप से उस समय के गवर्नर-जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स को "निरंकुश" बता कर विरोध किया था और कहा था कि वह नपुंसक (इरेक्टाइल डिसफंक्शन) है. हिक्की पर अंततः मानहानि का मुकदमा किया गया लेकिन उन्होंने जेल से पेपर प्रकाशित करना जारी रखा.

पढ़ें अंश :

गरूवार रात दो से तीन बजे के बीच

5 अप्रैल 1781, कलकत्ता

हिक्की चौंक कर उठे और अपने बेडरूम की खिड़की पर आ कर अंधेरे के धुंधलके में झांक कर देखने की कोशिश की. उन्होंने नीचे से चीखने-चिल्लाने की आवाजें सुनीं. "क्या है? इतना शोर क्यों है?" वह अपनी खिड़की खोल कर चिल्लाए.  उन्होंने अंधेरे में कुछ लोगों को दौड़ते देखा. तीन लोग उनके घर में घुसने की फिराक में थे. जिनमें से दो यूरोपियन थे और उन्होंने उस रस्सी को काट दिया था जिससे उनका पिछला गेट बंद था.

एंड्रयू ओटिस पत्रकार और इतिहासकार हैं.

Keywords: East India Company British Empire libel law media freedom
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