कारपोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर लंबे समय बाद अपलोड की गई जानकारी के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह का कारोबार फल-फूल रहा है. कारवां ने कुसुम फिनसर्व एलएलपी द्वारा दायर कारोबार से संबंधित दस्तावेजों की पड़ताल की. जय शाह कुसुम फिनसर्व एलएलपी (सीमित देयता भागीदारी) के मनोनीत साझेदार हैं. यह पद कंपनी के निदेशक के बराबर होता है. वित्त वर्ष 2015 और 2019 के बीच, जब से नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में आई है, जय शाह की कुसुम फिनसर्व की शुद्ध संपत्ति में 24.61 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है. इस कंपनी की शुद्ध अचल संपत्ति में 22.73 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ, चल संपत्ति में 33.05 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई और इसकी कुल आय में 116.37 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ. जय शाह के सितारे बुलंदी पर हैं. अक्टूबर में वह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सचिव बन गए.
कारवां ने अगस्त 2018 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया था कि जय की कुसुम फिनसर्व ने बीते सालों की खराब माली हालत के बावजूद, 2016 के बाद से क्रेडिट सुविधाओं में नाटकीय वृद्धि हासिल की है. 2016 में अमित शाह ने बेटे की इस कंपनी के लिए 25 करोड़ रुपए की क्रेडिट सुविधा प्राप्त करने के लिए अपनी दो संपत्तियां गिरवी रखी थीं.
सभी एलएलपी कंपनियों को हर साल 30 अक्टूबर तक अपने खातों का विवरण दर्ज करना होता है. ऐसा न करना सीमित देयता भागीदारी अधिनियम-एलएलपी के तहत अपराध है और उल्लंघनकर्ता पर पांच लाख रुपए तक का जुर्माना लग सकता है. इस साल जनवरी में कारवां ने रिपोर्ट प्रकाशित कर खुलासा किया था कि वित्त वर्ष 2017 और 2018 के लिए कुसुम फिनसर्व ने अपना विवरण दर्ज नहीं कराया है. बीजेपी सरकार और कारपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा वित्तीय विवरण जमा न करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई किए जाने के बावजूद कुसुम फिनसर्व ने लगातार दो वर्षों तक समय पर अपना विवरण दर्ज नहीं कराया.
इस वर्ष हुए आम चुनाव में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया. लेकिन इन चुनावों के दौरान ये दस्तावेज सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं थे. गुजरात के गांधीनगर निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाले अमित शाह, मोदी की नई कैबिनेट में गृह मंत्री हैं. कंपनी का वित्तीय लेखा-जोखा इस साल अगस्त में, चुनाव परिणाम आने के तकरीबन तीन महीने बाद अपलोड किया गया.
हालांकि अब कुसुम फिनसर्व ने मौजूदा वित्त वर्ष तक के बहीखाते दर्ज करा दिए हैं लेकिन दस्तावेजों में कुसुम फिनसर्व के कारोबार की प्रकृति के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है. अहमदाबाद रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, जिसके अधिकार क्षेत्र में कुसुम फिनसर्व आती है, ने इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया.
लेकिन यह एकदम स्पष्ट है कि इस कंपनी के जिन वर्षों का विवरण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं था, उन सालों में कुसुम फिनसर्व के कारोबार में बहुत तरक्की हुई. वित्त वर्ष 2015 में, कंपनी की कुल आय 3.23 करोड़ रुपए थी. वित्त वर्ष 2019 के अंत तक, इसकी आय बढ़कर 119.61 करोड़ रुपए हो गई. वित्त वर्ष 2017 में, कुसुम फिनसर्व की कुल आय अब तक की सर्वाधिक 143.43 करोड़ रुपए थी.
वित्त वर्ष 2015 और 2019 के बीच, कुसुम फिनसर्व की शुद्ध संपत्ति 1.21 करोड़ रुपए से बढ़कर 25.83 करोड़ रुपए हो गई. वित्त वर्ष 2018 में इस कंपनी ने अच्छा प्रदर्शन किया. उस साल इसकी शुद्ध संपत्ति साल भर पहले की 5.17 करोड़ रुपए से बढ़कर 20.25 करोड़ रुपए हो गई. कंपनी की माली हालत का संकेत उसकी शुद्ध संपत्ति से मिलता है. बैंक आमतौर पर इस आंकड़े का उपयोग यह पता लगाने के लिए करते हैं कि क्या कोई कंपनी उधार देने लायक है? सकारात्मक शुद्ध संपत्ति कारोबार की सफलता की निशानी है.
कुसुम फिनसर्व जो 2013 में एक कंपनी के रूप में निगमित थी, बाद में एलएलपी में बदल गई. इस कंपनी के कुछ साल लाभ वाले रहे. कारपोरेट मामलों के मंत्रालय में जमा दस्तावेजों के अनुसार, कुसुम फिनसर्व को वित्त वर्ष 2014 में 23729 रुपए का नुकसान हुआ था. इसने अगले साल तेजी से सुधार किया और कर अदायगी के बाद इसका लाभ 1.2 करोड़ रुपए था. 2016 में इसे 34934 रुपए का नुकसान हुआ लेकिन तब से यह बहुत फल-फूल रही है. वित्त वर्ष 2017 में इसका लाभ 2.19 करोड़ रुपए था और 2018 में 5.39 करोड़ रुपए. ताजा वित्त वर्ष में इसने 1.81 करोड़ रुपए का लाभ कमाया. मुनाफे में आई हालिया गिरावट को शायद इसके परिचालन में बढ़े खर्चे से समझा जा सकता है. कंपनी की बैलेंसशीट के अनुसार, वित्त वर्ष 2019 में इसके परिचालन खर्च, निजी और प्रशासनिक खर्चे, कच्चे माल, बिजली, ईंधन और बीमा पर खर्च में वृद्धि हुई है. यह बताता है कि कंपनी का कारोबार बढ़ रहा है.
कंपनी की शुद्ध अचल परिसंपत्तियों में वृद्धि होना गौरतलब है. भूमि, भवन, मशीनरी और इसी तरह की अन्य परिसंपत्तियों का शुद्ध मूल्य, जिनकी उगाही लंबी अवधि में होती है और जिन्हें आसानी से नकदी में नहीं बदला जा सकता वह अचल परिसंपत्ति कहलाती है. वित्त वर्ष 2015 में 51.74 लाख रुपए से, ताजा वित्त वर्ष में कुसुम फिनसर्व की शुद्ध अचल परिसंपत्ति बढ़कर 23.25 करोड़ रुपए की हो गई. इस वृद्धि में दो प्रमुख उछाल शामिल हैं. वित्त वर्ष 2016 में यह बढ़कर 9.51 करोड़ रुपए हो गई यानी पिछले वर्ष की तुलना में 1738 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. 2018 में 2.60 करोड़ रुपए से, वित्त वर्ष 2019 में बढ़कर इसकी शुद्ध अचल संपत्ति 23.25 करोड़ रुपए हो गई.
बैलेंसशीट से पता चलता है कि कंपनी की चालू संपत्ति में तेजी से वृद्धि हुई है. चालू संपत्ति को रोज ब रोज के व्यावसायिक संचालन के लिए लगाया जाता है. इसमें नकद, स्टॉक इन्वेंट्री और खरीदारों से प्राप्त राशि शामिल होती हैं. कुसुम फिनसर्व की चल परिसंपत्ति वित्त वर्ष 2015 में 37.80 लाख रुपए थी जो ताजा वित्त वर्ष में बढ़कर 33.43 करोड़ रुपए पहुंच गई. यह 88 गुना की वृद्धि है. वित्त वर्ष 2017 में यह उछाल सबसे अधिक रहा जब चल संपत्ति का मूल्य 81.65 करोड़ रुपए था, जो 2015 की तुलना में लगभग 216 गुना अधिक था.
इस कंपनी को मिले सेक्योर्ड और अनसेक्योर्ड लोन ने कुसुम फिनसर्व की वृद्धि को बनाए रखा. कंपनी के वित्तीय विवरणों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2018 तक उसे अनसेक्योर्ड लोन मिलता रहा था. 2013 में, जब कुसुम फिनसर्व अभी एक कंपनी ही थी, तो उसने 16.36 लाख रुपए की अनसेक्योर्ड लोन के रूप में अपनी देनदारी दिखाई. सीधे शब्दों में कहें तो उसे यह कर्ज किसी संपत्ति को गिरवी रखे बगैर प्राप्त हुआ था. वित्त वर्ष 2014 में यह देनदारी बढ़कर 1.22 करोड़ रुपए और अगले वित्त वर्ष में 2.71 करोड़ रुपए हो गई.
वित्त वर्ष 2014 के लिए दाखिल बैलेंसशीट के विवरण दिखाते हैं कि केआईएफएस फाइनेंसियल सर्विस लिमिटेड ने इस कंपनी को उस वर्ष के लिए अपने मंजूर अनसेक्योर्ड लोन का अधिकांश हिस्सा दिया था यानी 1.06 करोड़ रुपए. अगले साल केआईएफएस ने अपने अनसेक्योर्ड लोन को बढ़ाकर 2.68 करोड रुपए कर लिया. एक बार फिर केआईएफएस ने कुसुम फिनसर्व को सबसे ज्यादा अनसेक्योर्ड लोन दिया. वित्त वर्ष 2016 में फर्म का अनसेक्योर्ड लोन दोगुना होकर 4.92 करोड़ रुपए हो गया. मंत्रालय को दायर किए गए दस्तावेज इन उधारों के स्रोतों के बारे में कुछ नहीं बताते, लेकिन 2017 में, समाचार वेबसाइट द वायर को दिए गए जवाब में, जय के वकील ने स्वीकार किया था कि केआइएफएस ने यह राशि प्रदान की थी. वकील ने बताया, "यह फर्म पिछले कई वर्षों से नियमित रूप से केआइएफएस फाइनेंशियल सर्विसेज से आईसीडी/ लोन उठा रही है और इस पर 4.90 करोड़ रुपए का बकाया है." वकील ने आगे बताया, “इन राशियों का उपयोग नियमित कार्यशील पूंजी के लिए किया जाता था. भुगतान किए गए ब्याज (टीडीएस) पर कर की कटौती की गई है और मूल और ब्याज राशि पूरी तरह से चुका दी गई है.”
इस कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक केआईएफएस एक “गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी है जो आरबीआई के तहत लोन कंपनी की श्रेणी में आती है.” यह केआईएफएस सिक्योरिटीज लिमिटेड की सहायक कंपनी है. इस कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राजेश खंडेलवाल राज्यसभा सांसद परिमल नथवानी के संबंधी हैं. नथवानी, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के वरिष्ठ ग्रुप अध्यक्ष हैं और वह गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं. अमित शाह गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं और उनके बेटे जय शाह इसके संयुक्त सचिव रहे हैं. नथवानी, अमित शाह और जय शाह ने सितंबर 2019 में अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था.
वित्त वर्ष 2017 में कुसुम फिनसर्व ने सबसे अधिक 15.68 करोड रुपए का अनसेक्योर्ड लोन हासिल किया. इस वित्त वर्ष के विवरण में कोई नोट संलग्न नहीं है. अगले दो सालों के लिए कंपनी ने कोई अनसेक्योर्ड लोन नहीं दिखाया है.
सेक्योर्ड लोन भी कंपनी को निरंतर मिलता रहा है लेकिन इसके बारे में कोई साफ जानकारी नहीं है. वित्त वर्ष 2016 की कंपनी की बैलेंसशीट में दायित्व के रूप में पिछले साल का 3.95 लाख रुपए का सेक्योर्ड लोन दिखाया है. 2017 की बैलेंसशीट में उल्लेख है कि कंपनी का सेक्योर्ड लोन बढ़कर 11.23 करोड रुपए हो गया है. सबसे ताजा वित्त वर्ष के लिए यह लोन बढ़कर 25.50 करोड़ रुपए हो गया है. इस वाली बैलेंसशीट के साथ नोट उपलब्ध नहीं है इसलिए इन उधारों के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
जय शाह के कारोबार में वृद्धि कोई नई बात नहीं है. 2017 में द वायर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि जय शाह की एक अन्य कंपनी टेंपल एंटरप्राइज प्राइवेट लिमिटेड के व्यवसाय में 16000 गुना बढ़ोतरी हुई है. पिछले कुछ सालों तक एकदम कम लाभ या घाटा दिखाने के बाद वित्त वर्ष 2015 में टेंपल एंटरप्राइज ने 50000 रुपए का राजस्व दिखाया था. उसके अगले साल इस कंपनी का कारोबार 80.5 करोड़ रुपए हो गया था. लेकिन अक्टूबर 2016 में टेंपल एंटरप्राइज ने कारोबार करना बंद कर दिया. कंपनी ने अपनी निदेशक रिपोर्ट में बताया कि कंपनी की शुद्ध संपत्ति “पूरी तरह से खत्म” हो गई है.
2018 में कारवां ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था, ऐसा लगता है कि जय शाह ने अपना कारोबार कुसुम फिनसर्व में शिफ्ट कर लिया है. इस कंपनी ने वित्त वर्ष 2016 में अपनी शुद्ध संपत्ति 5.83 करोड़ रुपए दिखाई थी लेकिन कंपनी ने 97.35 करोड़ रुपए की क्रेडिट सुविधा 10.35 करोड़ रुपए, 25 करोड़ रुपए, 15 करोड़ रुपए, 30 करोड़ रुपए और 17 करोड़ रुपए की किस्तों में प्राप्त की है.
कुसुम फिनसर्व ने लोन और क्रेडिट सुविधाएं दो बैंकों और एक सार्वजनिक कंपनी से प्राप्त की. कालूपुर वाणिज्यिक सहकारी बैंक ने कुसुम फिनसर्व एलएलपी को 25 करोड़ रुपए और 15 करोड़ रुपए की दो किस्तों में 40 करोड़ रुपए दिए. पहली किस्त के लिए अमित शाह ने अपनी संपत्ति गिरवी रखी थी और वह प्रभावकारी रूप से जय शाह की कंपनी के लिए जवाबदेह बन गए थे. कारपोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट में कुसुम फिनसर्व के आगे लिखा है कि कोऑपरेटिव बैंक द्वारा दिया गया कर्ज और उससे संबंधित भुगतान से यह कंपनी पूरी तरह से मुक्त है.
2016 में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की कंपनी भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड ने कुसुम फिनसर्व को 10.35 करोड़ रुपए का उधार दिया था. 2017 में कोटक महिंद्रा ने 45 करोड़ रुपए का एक्सपोजर लिया और कुसुम फिनसर्व को 30 करोड़ रुपए का लेटर ऑफ क्रेडिट दिया (एक बैंक द्वारा किसी अन्य बैंक को भुगतान की गारंटी की रूप में दिया गया पत्र). 2018 में कोटक महिंद्रा ने कुसुम फिनसर्व को 17 करोड़ रुपए का कर्ज दिया. इस कर्ज के लिए कुसुम फिनसर्व ने सानंद की अपनी संपत्ति गिरवी रखी थी जो उसे गुजरात औद्योगिक विकास निगम ने आवंटित की थी.
इसका मतलब है कि कुसुम फिनसर्व के पास 30 करोड़ रुपए की क्रेडिट सुविधा और 27.35 करोड रुपए का कर्ज है. एमसीए की वेबसाइट में यह अभी भी दिख रहा है. ताजा बैलेंसशीटों के साथ विवरण न होने के चलते बताना मुश्किल है कि कुसुम फिनसर्व ने क्रेडिट सुविधा का इस्तेमाल किया या नहीं और यह भी नहीं बताया जा सकता कि ताजा बैलेंसशीट में घोषित 25 करोड़ रुपए के सेक्योर्ड लोन से उन कर्जों का मिलान क्यों नहीं हो रहा जो उसे प्राप्त हुए हैं.
पिछले कुछ सालों में कुसुम फिनसर्व ने जो दस्तावेज जमा किए हैं वे इसके कारोबार के बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं करते. द वायर को दिए जवाब में जय शाह के वकील ने कहा था कि कुसुम फिनसर्व “शेयरों और स्टॉकों की ई-ट्रेडिंग, आयात-निर्यात गतिविधियां और वितरण एवं मार्केटिंग परामर्श सेवाओं” के क्षेत्र में काम करती है. 2015 की बैलेंसशीट के अनुसार यह कंपनी कृषि उत्पाद के व्यवसाय से भी जुड़ी है. लेकिन कंपनी के कुल टर्नओवर का 60 फीसदी परामर्श सेवा से आता है और कृषि उत्पाद का प्रतिशत कंपनी के कारोबार में 29 से भी कम है. क्रेडिट सुविधा से संबंधित कालूपुर बैंक की एक रिपोर्ट में “कोयला और कोक ट्रेडिंग व्यवसाय” का उल्लेख है. कारवां ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि इस कंपनी ने दावा किया है कि सानंद की गिरवी रखी हुई जमीन में उसकी फैक्ट्री है. लेकिन जब 2018 में मैंने उस प्लॉट का दौरा किया तो मुझे कंपनी का नाम बताने वाला कोई साइन बोर्ड नहीं दिखा और गार्ड ने मुझे भीतर प्रवेश करने नहीं दिया. क्रेडिट सुविधाओं के लिए बैंक के दस्तावेजों के अनुसार फैक्ट्री पीपी, एचडीपीई और जंबो बैग का निर्माण करती है. लेकिन इस फैक्ट्री की जगह पर ऐसी कोई जानकारी नहीं थी.
कारवां ने जय शाह को वित्तीय दस्तावेज से संबंधित सवालों की एक सूची भेजी थी जिसमें कुसुम फिनसर्व के कारोबार की प्रकृति, जमा दस्तावेजों से अनुपस्थित चीजों, क्रेडिट सुविधा, कर्ज और साथ ही कर्ज के आंकड़ों में दिखाई दे रही अनियमितता व इससे जुड़े अन्य सवाल थे. रिपोर्ट प्रकाशित होने तक उनका कोई जवाब नहीं आया. उनकी ओर से जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.