उत्तर प्रदेश के शिक्षा संस्थानों में आंबेडकरवादी शिक्षकों को निशाना बनाने की घटनाएं सिलसिलेवार सामने आ रही हैं. इन हमलों के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छात्र संगठन, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, के सदस्य थे. गौरतलब है कि इन शिक्षकों को संविधान की बात करने, ऐतिहासिक तथ्यों को महत्व देने एवं पाखंड और अंधविश्वास का विरोध करने के लिए धमाकाया और जान से मारने की धमकियां दी गई हैं.
पहली घटना महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय, वाराणसी के गेस्ट लेक्चरर मिथलेश कुमार गौतम से संबंधित है जो वहां एक साल से पढ़ा रहे हैं. गौतम की पढ़ाई भी यहीं से हुई है. आजमगढ़ के रहने वाले गौतम दलित समाज से आते हैं. उन्हें फेसबुक पर एक पोस्ट करने के लिए निशाना बनाया गया. उस पोस्ट में उन्होंने संविधान और हिंदू कोड बिल को जानने की आवश्यकता पर जोर दिया था. 28 सितंबर को गौतम ने अपने फेसबुक अकाउंट में लिखा था,
"नौ दिन के नवरात्र व्रत से अच्छा है कि महिलाएं नौ दिन भारतीय संविधान और हिंदू कोड बिल पढ़ लें, उनका जीवन गुलामी और भय से मुक्त हो जाएगा. जय भीम."
उनकी इस पोस्ट का स्क्रीनशॉट लेकर विश्वविद्यालय के कुछ छात्र उनके खिलाफ आंदोलन चलाने लगे. गौतम ने बताया, "इन लोगों ने मेरे खिलाफ लामबंदी की कि मैं भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी कर रहा हूं." अगले दिन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य गणेश राय के नेतृत्व में जुलूस लेकर विभाग में आए. छात्रों ने गौतम को घेर लिया.
गौतम को धमकाने पहुंचे छात्र "जय श्रीराम" के नारे लगा रहे थे और उनको गालियां देते हुए जान से मार देने की धमकी दे रहे थे.
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