फादर स्टैन स्वामी और उनके काम के महत्व को समझने के लिए देश की वर्तमान राजनीतिक और नीतिगत परिस्थितियों को समझने के साथ-साथ झारखंड के आदिवासी, मूलवासी और किसानों के जल, जंगल, जमीन पर पारंपरिक अधिकार को समझने की जरूरत है. साथ ही आदिवासी समुदाय के इतिहास, संघर्ष को समझना भी जरूरी है क्योंकि तभी फादर स्टैन स्वामी के जीवन संघर्ष को, जो आदिवासी समुदाय के लिए समर्पित था, समझने में आसानी होगा.
जेसुइट पादरी और आदिवासी-अधिकार कार्यकर्ता स्टैन स्वामी को गैरकानूनी रोकथाम गतिविधि (संशोधन) कानून, 2019 के तहत 2020 में गिरफ्तार किया गया था. लगातार बिगड़ते स्वास्थ के बावजूद उन्हें जमानत नहीं दी गई और 6 जुलाई 2021 को जेल में ही उनकी मौत हो गई.
झारखंड में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में स्वामी को सालों से जानती थी. लगभग 15 साल पहले रांची में आदिवासी अधिकारों से संबंधित एक कार्यक्रम में पहली बार उनसे मिलने के बाद हम अक्सर बातचीत करते थे.
झारखंड आदिवासी राज्य है. झारंखड के आदिवासी समुदाय का सांप, बिच्छू, बाघ, भालू, सिंह जैसे खतरनाक जंगली जानवरों से लड़ कर जंगल-झाड़ी साफ कर गांव बसाने, जंगल, जमीन को संरक्षित एवं विकसित करने एक खास इतिहास है. इसी धरोहर में आदिवासी समुदाय का इतिहास, भाषा-संस्कृति, पहचान एवं सामाजिक और आर्थिक मूल्य फलते-फूलते हैं जिस पर आदिवासी समुदाय का खूंटकटी (पारंपरिक) अधिकार है.
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