फ़्रैंक लेगर II ने कहा, "इसे लिख लो, पुरुषों के लिए बनने वाले इत्र में पचहत्तर प्रतिशत खस का उपयोग किया जाता हैं." यह हैती के लिए आशाजनक खबर है, जिसे खस के तेल की दुनिया के सबसे बड़े वाणिज्यिक उत्पादकों में से एक माना जाता है. लेगर के परिवार के स्वामित्व वाली कंपनी, फ्रैगर एसेंशियल ऑयल्स, लेस केज़ में स्थित है और खस के तेल के उत्पादन और निर्यात में अग्रणी है. दक्षिण-पश्चिमी हैती का सबसे बड़ा शहर लेस केज़ दुनिया के वाणिज्यिक खस के व्यापार का केंद्र है और इत्र उद्योग की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण कड़ी है.
लेगर का दावा है कि पुरुषों की महक में तीन-चौथाई खस की महक होती है, लेकिन इस मोर्चे पर एक सटीक और सत्यापन योग्य आंकड़ा इंगित करना मुश्किल है. इत्र बनाने के नुस्खों को व्यापारिक कारणों से ईर्ष्यापूर्वक संरक्षित किया जाता है. हालांकि, मोटे तौर पर लेगर की बात सही है. ऐसे लक्जरी फैशन कंपनियों की पहचान करना मुश्किल है जो अपने कुछ इत्रों में खस को शामिल नहीं करती हैं. गुच्ची, लुई वुइटन, प्रादा, अरमानी, चैनल सभी खस युक्त उत्पाद बेचते हैं.
लेस केज़ कई छोटे भारतीय शहरों से मिलती जुलती जगह है. मोटरबाइकों पर सवार परिवार खराब सड़कों पर जगह पाने के लिए निजी गाड़ियों के ड्राइवरों से होड़ करते हैं. प्रमुख चौराहों पर कपड़ों के बाज़ार, सड़क किनारे सब्जियां, खाने की छोटी दुकानें और वर्दी पहने स्कूली बच्चे समूहों में घर जाते दिखाई देते हैं. भारत से इसकी समानताएं एक संयोग से भी अधिक हो सकती हैं. खस की ऐतिहासिक जड़ें भारत से जुड़ी हैं. पौधे का अंग्रेजी नाम वेटेवर तमिल वेट्टिवरु का अनुमानित लिप्यंतरण है, जिसका तमिल में अर्थ है "खोदी गई जड़" और इसकी उपस्थिति भारतीय इतिहास में बहुत पीछे तक दिखाई देती है. सुगंधों से जुड़ी संस्कृतियों के इतिहास में विशेषज्ञता रखने वाले इतिहासकार, ज्योति मारवाह के अनुसार, वर्तमान उत्तर प्रदेश में सातवीं शताब्दी ईस्वी में सम्राट हर्षवर्द्धन के शासनकाल के दौरान पहली बार खस पर कर लगाया गया था.
यह स्पष्ट नहीं है कि खस का पहला पौधा हैती में कब आया, लेकिन खस की व्यावसायिक फसल 1940 के दशक में एक धनी बागान मालिक और राजनेता लुई डेजोई द्वारा शुरू की गई थी, जिन्हें बाद में तानाशाह फ्रांकोइस डुवेलियर ने निर्वासित कर दिया था. डुवेलियर को आमतौर पर पापा डॉक कहा जाता था. उसकी सरकार के साथ-साथ उसके बेटे और उत्तराधिकारी, जीन-क्लाउड डुवेलियर (बेबी डॉक) की सरकार में भी हैती राज्य ने खस निर्यात पर एकाधिकार बनाए रखा. इस युग के दौरान भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन ने खस उद्योग को गिरावट की स्थिति में धकेल दिया. हालांकि, 1986 में बेबी डॉक के शासन को उखाड़ फेंकने के बाद निजी क्षेत्र ने फिर से काम शुरू किया और खस उद्योग को फिर से मजबूत किया.
“यह हमारा सोना है,'' लेस केज़ के एक उद्यमी, एक मध्यम आकार की वेटिवर ऑयल डिस्टिलरी के मालिक, डियूजस्टे कैडेमस ने मुझे बताया, "खस दक्षिण हैती का सोना है." उनका कहना था कि दक्षिणी हैती देश के बाकी हिस्सों से अलग है, जो आम बात है. जबकि हैती की राजधानी पोर्ट-ऑ-प्रिंस लाखों लोगों का एक विशाल महानगर है, लेस केज़ के बाहर समुद्र तटीय सड़कें गोवा या कैलिफोर्निया में किसी भी तटीय क्षेत्र जितनी सुंदर हैं. इस तरह के ग्रामीण क्षेत्र भी हैं जहां हैती का अधिकांश खस अक्सर अपेक्षाकृत छोटी—छोटी मात्रा उगाया जाता है.
खस एक प्रकार की लंबी घास है. चार से पांच फीट की ऊंचाई तक बढ़ने पर इसकी पत्तियां जानवरों को चारे में खिलाए जाने के अलावा, टोपियां बुनने और घर की छप्पर के लिए अच्छी सामग्री होती है. हालांकि, खस को इसके ऊपरी पत्ते के आधार पर परिभाषित करना इसकी सबसे मूल्यवान विशेषता को नजरअंदाज करने जैसा है. पौधे का अधिकांश भाग इसकी सघन जड़ के भीतर होता है, जो धरती में दस फीट से अधिक गहराई तक हो सकती है. खस का बायोमास जमीन में इतना गहरा होता है कि इसे जब मिट्टी से निकाला जाता है, तो यह एक ब्रश जैसा दिखता है, जिसमें पत्तियां हैंडल के रूप में और जड़ें उलझे हुए बाल जैसी दिखती हैं. हालांकि, कुछ ही सेकंड में इसकी जड़ों से निकलने वाली अच्छी खुशबू के कारण इसकी अजीब बनावट से ध्यान हट जाता है.
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