2021 की मई में राजन मधून को 11 दिनों तक एक ही किस्म का बुरा सपना आता रहा. तब इजराइल ने गाजा पर सैन्य कार्रवाई की थी. अपने सपने में मधून आकाश में मिसाइलों को यूं तैरते देखतीं गोया वे टूटते हुए तारे हों. वह अपनी दो जवान बेटियों के साथ जान बचने के लिए सुरक्षित स्थान ढूंढ रही होतीं कि तभी कान के पर्दे फाड़ देने वाली आवाज के साथ एक मिसाइल उनकी एक बेटी पर गिरती. इसके साथ ही उनका सपना टूट जाता और वह पसीने में तर उठतीं.
मधून 33 वर्षीय फिलिस्तीनी शरणार्थी हैं. वह 2015 में ब्रिटेन चली आई थीं और अब अपनी बेटियों के साथ स्कॉटलैंड में रहती हैं. पिछले साल मई में इजराइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष के बढ़ने से 2014 में ठीक इसी तरह के इजराइली सैन्य हमले की उनकी यादें ताजा हो गईं. उस वक्त वह गाजा में रहते हुए अपनी बेटियों को सुरक्षित रखने की कोशिशें कर रही थीं. उन्होंने मुझ बताया, “इस तरह के जख्म कभी भर नहीं पाते. लोग आपको बताते हैं कि युद्ध खत्म हो चुका है लेकिन युद्ध एक अर्थ में कभी खत्म नहीं होता. आप जीवन भर उसके दिए जख्मों से जूझते हैं." मधून ने बताया कि अब वह उस लड़ाई से बेहद दूर हैं लेकिन फिर भी युद्ध ने उनके मन पर एक अमिट लकीर खींच दी है. अपनी 13 वर्षीय बेटी द्वारा हाल ही में बनाई गई एक ड्राइंग के बारे में मधून बताती हैं कि उसमें वह बम से बच कर भाग रही है. उस पेंटिंग में युद्ध के गहरे प्रभाव देखे जा सकते हैं.
मधून ने बताया, "2014 में जब हम गाजा में थे तब हमले के कारण हमारे पड़ोसी का घर जमींदोज हो गया था और हमारा घर तबाह हो गया था. तब बेटी ने यह सब अपनी आंखों से देखा था. मैंने पहली बार उसके चेहरे पर सदमे के भाव देखे थे."
पिछले साढ़े तीन दशकों में इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध में कम से कम चौदह हजार लोगों की मौत हुई है. मधून इस बात की शुक्रगुजार हैं कि उनकी बेटियों को कोई नुकसान नहीं हुआ. लेकिन उन्हें गाजा में रह रहे अपने माता-पिता की चिंता होती है. उन्होंने मुझे बताया, “मई 2021 में हमले बढ़ने के तुरंत बाद मैंने उससे बात की थी. मैं सिर्फ यह जानना चाहता थी कि वे जीवित हैं. कभी-कभी मुझे चिंता होती है कि अगर वे इस बार भी वहां से नहीं निकल पाए तो क्या होगा?" मधून ने बताया कि वह आखिरी बार अपने माता-पिता से छह साल पहले मिली थीं. उसके बाद उन्हें ब्रिटेन में शरण मिल गई. उन्होंने बताया, “हम अपने घर वापस नहीं जा सकते क्योंकि ऐसा करने से हम यहां की नागरिकता खो देंगे.” इस सबके बीच उसके माता-पिता चुनौतीपूर्ण वीजा प्रक्रिया के कारण उनके पास नहीं आ पा रहे हैं.
उन्होंने आगे बताया, "मैं एक दोस्त को जानती हूं जो 12 साल से लंदन में रह रही है. उसके पास ब्रिटिश पासपोर्ट है. जब भी उन्होंने अपनी मां को यूके लाने के लिए आवेदन किया यूके ने यह कहते हुए मना कर दिया कि उनको इस बात का भरोसा नहीं है कि मां यहां आने के बाद वापस चली जाएंगी. मधून यूनाइटेड किंगडम में रह रहे कई फिलिस्तीनी शरणार्थियों में से एक है. इनकी कहानियां उनके संघर्ष बयां करती हैं फिर भी वे यहां एक बेहतर जीवन का निर्माण करने की कोशिश कर रहे हैं.
कमेंट