9 अक्टूबर की सुबह, केरल के उत्तरी कासरगोड जिले में स्थित केरल केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूके) के पूर्व छात्र अखिल ताणत ने विश्वविद्यालय के हेलीपैड में अपनी कलाई काट ली. उसकी जेब से एक खून में सना खत (सुसाइड नोट) मिला जिस पर लिखा था, ‘‘मैं उस दर्द, क्रूरता और उपेक्षा को व्यक्त नहीं कर सकता जिसका सामना मुझे करना पड़ा है.’’ खत में आगे लिखा था, ‘‘कुलपति गोपकुमार, रजिस्ट्रार राधाकृष्णन नायर, प्रो वाइस चांसलर, डॉ मोहन कुंडर ने मुझे न केवल व्यक्तिगत रूप से तंग किया है बल्कि ये लोग समाज विरोधी तत्व हैं.’’
तीन दिन बाद, विश्वविद्यालय ने केरल उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की जिसमें कहा गया कि छात्र आंदोलन से विश्वविद्यालय प्रशासन को सुरक्षा देने के मामले में पुलिस विफल रही. याचिका में ताणत समेत कई छात्रों पर विश्वविद्यालय के प्रो-वाइस चांसलर जयप्रसाद को ‘‘जानबूझ कर शारीरिक हानि पहुंचाने की कोशिश’’ करने का आरोप लगाया गया. यह भी कहा गया है कि ताणत ने ‘‘अपने हाथ पर एक छोटा सा घाव लगा लिया,’’ जिसे उसके दोस्त आत्महत्या की कोशिश बता रहे हैं. ताणत की डिस्चार्ज रिपोर्ट में, जिसे कान्हागढ़ जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक विभाग ने जारी किया है, लिखा है कि ‘‘छात्र को कलाई के कटने’’ के कारण भर्ती किया गया था.
ताणत के दोस्तों ने मुझे बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने लगातार उत्पीड़न कर ताणत को आत्महत्या के लिए मजबूर किया. यह 25 जून को तब शुरू हुआ जब सीयूके ने ताणत को निलंबित करने का आदेश दिया जिसमें दावा किया गया था कि ताणत ने 22 जून को 3 बज कर 46 मिनट पर फेसबुक में प्रशासन के खिलाफ ‘‘अपमानजनक और गंदे शब्द’’ लिखे थे. कोर्ट में अपनी याचिका में विश्वविद्यालय ने ताणत की फेसबुक पोस्ट की कुछ लाइनों का स्क्रीनशॉट संलग्न किया है जिसमें उसने सीयूके प्रशासन के सदस्यों के खिलाफ अपशब्द कहे हैं. हालांकि, ताणत ने इस तारीख और समय में कोई ऐसी पोस्ट लिखने से इनकार किया है. याचिका में संलग्न स्क्रीनशॉट में तारीख नहीं है.
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