जानलेवा है नीट परीक्षा

भेदभाव करने वाली नीट परीक्षा के कारण वंचित समाज के छात्रों पर पड़ रहा दबाव, तमिलनाडु में कइयों ने की खुदकुशी

13 सितंबर को तमिलनाडु में नीट परीक्षा का विरोध करते लोग.
अरुण शंकर/ एएफपी/ गैटी इमेजिस
13 सितंबर को तमिलनाडु में नीट परीक्षा का विरोध करते लोग.
अरुण शंकर/ एएफपी/ गैटी इमेजिस

13 और 17 सितंबर को तमिलनाडु के कई शहरों में छात्र और दलित संगठनों ने राष्ट्रीय प्रवेश एवं पात्रता परीक्षा (नीट) के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. ये प्रदर्शन मदुरई, करुर, तंजावुर, तिरुवरूर पुदुकोत्तई, कन्याकुमारी, विरुधुनगर, वीलूर और चेन्नई आदि शहरों में हुए. नीट परीक्षा भारत के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में दाखिले के लिए आयोजित की जाती है. इस साल यह परीक्षा 13 सितंबर को आयोजित की गई थी. नीट परीक्षा 2017 में शुरू हुई थी और तमिलनाडु के छात्र, नागरिक समाज के अगुवा और यहां की राजनीतिक पार्टियां तब से ही इस परीक्षा का विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि यह परीक्षा वंचित समुदाय के साथ भेदभाव करती है. जबसे नीट परीक्षा आयोजित होनी शुरू हुई है तब से राज्य के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के इच्छुक कई छात्रों ने आत्महत्या की है. 13 और 17 सितंबर को हुए विरोध प्रदर्शन, परीक्षा के एक दिन पहले तीन छात्रों द्वारा आत्महत्या कर लेने से उमड़े गुस्से का परिणाम थे.

19 साल की एम ज्योतिश्री दुर्गा ने 12 और 13 सितंबर की दरमियानी रात को आत्महत्या कर ली. ज्योतिश्री नीट परीक्षा की तैयारी कर रही थी. उसने सालभर इसकी तैयारी की थी. ज्योतिश्री के पिता मुरुगासुंदरम मदुरई पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं. उन्होंने मुझसे कहा कि वह और उनकी पत्नी जानते थे कि बेटी के दिमाग में बहुत कुछ चल रहा है लेकिन उन्हें लग रहा था कि यह परीक्षा नजदीक होने के कारण है जो स्वाभाविक ही है. मुरुगासुंदरम ने मुझसे कहा, “शुक्रवार की रात को वह बहुत सामान्य लग रही थी. उसने हमारे साथ रात का भोजन किया और अपने कमरे में चली गई. सुबह हमने देखा कि हमारे कमरे का दरवाजा बाहर से बंद है. हम बड़ी मुश्किल से बाहर निकले और पाया कि हमारी बेटी हॉल में लटक रही है.”

अपने पीछे 19 साल की ज्योतिश्री ने एक ह्रदय विदारक चिट्ठी छोड़ी है जिसमें उसने लिखा है कि हालांकि उसने परीक्षा की अच्छी तैयारी की थी लेकिन फिर भी उसे डर लग रहा था कि कहीं वह परीक्षा में पास न हुई तो क्या होगा. ज्योतिश्री के शब्दों में, “यदि मुझे सीट नहीं मिल पाई तो आप सभी को निराशा होगी. आई एम सॉरी, अप्पा. आई एम सॉरी, अम्मा. अप्पा अपनी सेहत का ख्याल रखना क्योंकि आप दिल के मरीज हैं. आप मेरी चिंता मत करना. अम्मा-अप्पा प्लीज अपने आप को दोष मत देना. यह आपकी गलती नहीं है. यह निर्णय सिर्फ मेरा है. अम्मा मैं आपको मिस करूंगी. अम्मा, आई एम सॉरी.” 7 पेज के उस सुसाइड नोट में उसने लिखा है कि मैंने पढ़ाई अच्छी की थी और पिछले मॉक टेस्ट में मुझे 590 से ज्यादा नंबर मिले थे लेकिन अब मैं इस परीक्षा को लेकर डरी हुई हूं. ज्योतिश्री के सुसाइड नोट की एक पंक्ति विरोध प्रदर्शनों में बार-बार दोहराई गई जो है, “मुझे माफ कर देना. मैं थक गई हूं.”

पहले नीट परीक्षा 3 मई को होनी थी लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया. इसके बाद नीट परीक्षा को 13 सितंबर को आयोजित किया गया. हालांकि देशभर के छात्र परीक्षा टाले जाने की मांग कर रहे थे और परीक्षा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका तक डाली गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया था.  2017 से नीट परीक्षा के कारण राज्य में 18 बहुजन छात्रों ने आत्महत्या की है. इनमें से पांच मौतें तो इसी साल हुई हैं.

2017 तक तमिलनाडु में 12वीं के परीक्षा परिणाम के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश मिलता था.  राज्य में अच्छी गुणवत्ता वाले सरकारी स्कूलों की संख्या तुलनात्मक रूप से अच्छी है जिसके चलते मेडिकल शिक्षा वंचित दलित, आदिवासी और बहुजन समाज के लिए अच्छा अवसर थी लेकिन केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम पर आधारित नीट परीक्षा शुरू हो जाने से राज्य के वंचित समाज के विद्यार्थियों के लिए मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पाना कठिन हो गया है.

सुजाता सिवगनानम तमिलनाडु में फ्रीलांस पत्रकार हैं.

अभय रेजी कारवां की एडिटोरियल फेलो हैं.

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