जेएनयू हिंसा : नकाबपोश भीड़ के हमले के बीच पुलिस की खतरनाक चुप्पी

06 जनवरी 2020
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों ने कहा कि एक नकाबपोश भीड़ ने 5 जनवरी की देर शाम छात्रों पर पथराव किया, फर्नीचर तोड़ दिए, वाहनों को क्षतिग्रस्त किए, छात्रावासों में तोड़-फोड़ की और छात्रों के साथ मारपीट की.
कारवां के लिए शाहिद तांत्रे
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों ने कहा कि एक नकाबपोश भीड़ ने 5 जनवरी की देर शाम छात्रों पर पथराव किया, फर्नीचर तोड़ दिए, वाहनों को क्षतिग्रस्त किए, छात्रावासों में तोड़-फोड़ की और छात्रों के साथ मारपीट की.
कारवां के लिए शाहिद तांत्रे

5 जनवरी को तकरीबन 7 बजे के आसपास से ही व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के संदेश आने लगे थे. ये संदेश कुछ भयावह होने की आशंका वाले थे और बताया जा रहा था कि नकाबपोश भीड़ परिसर में तोड़-फोड़ कर रही है और छात्र-छात्राओं और प्रोफेसरों पर हमला कर रही है. दिल्ली पुलिस यह सब होते देख रही है. अगले कुछ घंटों में कारवां के पत्रकारों ने घटनास्थल और आसपास के इलाकों से लोगों के बयान रिकॉर्ड किए.

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि शाम 6.30 के आसपास ढेरों नकाबपोश लोगों ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) की बैठक पर हमला किया. नकाबपोश भीड़ ने पथराव किया, वाहनों में तोड़-फोड़ की और शिक्षकों और विद्यार्थियों को मारा-पीटा. इसके बाद भीड़ ने कम से कम तीन हॉस्टलों पर हमला किया और वहां के छात्र-छात्राओं को पीटा. छात्रों ने जेएनयू में उस दिन सुबह से तैनात पुलिसवालों को मदद के लिए बुलाया लेकिन पुलिस ने उनकी नहीं सुनी. और तो और पुलिस ने परिसर से घायल लोगों को अस्पताल ले जा रही एक एम्बुलेंस को भी रोक लिया. हिंसा लगभग 45 मिनट तक जारी रही और इस दौरान पुलिस ने परिसर के सभी गेटों को बंद कर दिया. गेटों को रात 12.50 पर खोला गया. सभी लोगों ने आरोप लगाया कि हिंसा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विद्यार्थी संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का हाथ है.

कारवां के पत्रकार जब जेएनयू जा रहे थे तो उनको पता चला कि पुलिस ने शाम 7.45 बजे से ही विश्वविद्यालय जाने वाले सभी मार्गों को बंद कर दिया है और जेएनयू के सभी मुख्य गेटों पर पुलिस तैनात है. हमारे एक रिपोर्टर ने जब गेट के अंदर जाने की कोशिश की तो उसे अज्ञात लोगों ने घेर लिया. उन लोगों ने हमारे रिपोर्टर पर जोर दिया कि वह अपने बनाए सभी वीडियो डिलीट कर दे. जब पत्रकार ने पुलिसवालों से पूछा कि वे लोग कौन हैं तो पुलिस ने बताया कि “स्टुडेंट” हैं. रास्ता रात 12.15 बजे तक बंद था.

इसके अलावा रात 9.40 से रात 11 बजे तक जेएनयू जाने वाली सड़कों और परिसर के अंदर बिजली नहीं थी, जबकि मुनिरका विहार और वसंत विहार जैसे आसपास के इलाकों में लाइट थी.

विश्वविद्यालय के भीतर माहौल अराजक था. लेबर स्टडीज की छात्रा अंजना एच कुमार ने बताया कि परिसर में पिछले दो दिनों से हिंसा और अशांति का माहौल है. एबीवीपी के सदस्यों ने आगामी सेमस्टर में पंजिकरण और फीस वृद्धि के खिलाफ जारी विरोध पर आपत्ति जताई. लेबर स्टडीज के एक अन्य छात्र और एसएफआई के सदस्य देव कृष्णन ने बताया कि एबीवीपी पिछले दो दिनों से छात्रों के साथ मारपीट कर जारी विरोध को खत्म करना चाहती थी. अंजना ने बताया कि एक दिन पहले कैंपस के भीतर एबीवीपी की हिंसा के खिलाफ बड़ा जुलूस निकला था जिससे यह दक्षिणपंथी संगठन नाराज चल रहा था. कृष्णन ने बताया कि 5 जनवरी की सुबह करीब 50-60 “एबीवीपी के गुंडों” ने एडमिन ब्लॉक के सामने छात्रों की पिटाई की.

Keywords: JNU ABVP Delhi Police student protest
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