दिसंबर के पहले सप्ताह में चंडीगढ़ के सेक्टर 18 और 19 में रह रहे लोगों को एक व्हाट्सएप संदेश मिला जिसमें उन्हें स्वास्थ्य आईडी या पहचान पत्र बनाने के लिए कहा गया. यह संदेश उन क्षेत्रों की सरकारी डिस्पेंसरियों के स्वास्थ्य अधिकारियों ने भेजा था. संदेश में राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की वेबसाइट पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य आईडी पृष्ठ का लिंक भी था, जिसे मिशन ने देश के लिए एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए स्थापित किया है. इसमें कहा गया, “परिवार के प्रत्येक सदस्य को यह करना है ताकि कोविड टीका वितरण को सुव्यवस्थित ढंग से किया जा सके.”
स्वास्थ्य परहचन पत्र राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के तहत चलाए जा रहे व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विशिष्ट पहचान कोड है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को इस मिशन की शुरुआत की थी और कहा था कि इससे प्रौद्योगिकी का लाभ देश भर में बेहतर स्वास्थ्य परिणामों को हालिस करने के लिए होगा. सरकार ने कहा कि हेल्थ आईडी बनाना स्वैच्छिक है. इस योजना को चंडीगढ़ सहित सात केंद्र शासित प्रदेशों में परीक्षण के तौर पर शुरू किया गया है. सितंबर में ट्रायल शुरू होने के लगभग एक महीने बाद कारवां ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि चंडीगढ़ प्रशासन डॉक्टरों पर स्वास्थ्य आईडी बनाने के लिए दबाव डाल रहा है और 48 घंटों के भीतर पंजीकरण न करने पर गैर अनुपालन की रिपोर्ट की धमकी दे रहा है. संदेश में अब हेल्थ आईडी बनाने और कोविड-19 वैक्सीन के संबंध की बात है. स्थानीय अधिकारी चंडीगढ़ निवासियों को रजिस्टर करने के लिए मजबूर कर रहे हैं.
संदेश में कहा गया है कि लोगों को एनएचडीएम वेबसाइट पर अपनी जानकारी को अपडेट करने के लिए आधार कार्ड की आवश्यकता होगी. इसमें लोगों के लिए आधार के बिना आईडी बनाने के नियम का उल्लेख नहीं किया गया. इसमें संदेश प्राप्तकर्ता को पंजीकरण कराने के बाद परिवार के सभी सदस्यों का पूरा नाम, एनडीएचएम हेल्थ आईडी, उम्र, लिंग, पता और फोन नंबर स्थानीय डिस्पेंसरी में जमा करने के लिए कहा गया है. संदेश के उपसंहार में प्राप्तकर्ता को परिवार और दोस्तों के बीच संदेश को व्यापक रूप से साझा करने के लिए कहा गया ताकि लोगों को ऑनलाइन माध्यम से जल्दी पंजीकरण करने के प्रति जागरूक किया जा सके.
चंडीगढ़ के स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक अमनदीप कांग ने कहा कि उन्हें संदेश के बारे में जानकारी है. उन्होंने इसे "कुछ कर्मचारियों द्वारा की गई गलती” बताया और बोले, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस तरह की गलत जानकारी फिर से प्रसारित न की जाए.” कांग ने कहा कि यूटी का स्वास्थ्य विभाग कोविड-19 टीकाकरण को स्वास्थ्य आईडी के संचालन से जोड़ रहा है. “हमें केवल एनडीएचएम को लागू करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्देश दिया गया है इसलिए हम सिर्फ यहां के लोगों की काउंसलिंग कर रहे हैं. उनके साथ योजना का लाभ साझा कर रहे हैं ताकि वे स्वयं को सहजता से पंजीकृत कर सकें."
अपनी पहले की रिपोर्ट में कारवां ने विस्तार से बताया है कि कैसे पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च ने एक परिपत्र जारी कर कहा था कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए स्वास्थ्य आईडी बनाना अनिवार्य है. मिशन को लागू करने वाले राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने इस परिपत्र से खुद को दूर करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य आईडी एक विशुद्ध रूप से स्वैच्छिक काम है. पीजीआईएमईआर ने परिपत्र जारी करने के एक सप्ताह बाद वापस ले लिया और इसे एक गलती बताया.
डिजिटल सुरक्षा कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के यह सवाल उठाने के बाद कि यह पंजीकरण अनिवार्य क्यों है, संस्थान ने परिपत्र निरस्त कर दिया. सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और डिजिटल सुरक्षा कार्यकर्ताओं ने संवेदनशील स्वास्थ्य डेटा एकत्र करने के लिए इसके इतने बड़े पैमाने और केंद्रीकृत प्रक्रिया की जरूरत पर सवाल उठाया है. उन्होंने भारत में एक मजबूत डेटा संरक्षण कानून के न होने पर गोपनीयता के संभावित उल्लंघन की चिंताओं को उठाया है.
कांग ने कहा कि हालांकि कोविड-19 वैक्सीन प्राप्त करना स्वास्थ्य आईडी के होने से संबंधित नहीं है लेकिन टीकाकरण के रिकॉर्ड बाद में स्वास्थ्य आईडी से जोड़े जा सकते हैं. उन्होंने कहा, "ऐसा हो सकता है कि व्यक्ति के टीकाकरण रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से बाद में अपलोड किया जाए और जो उनके स्वास्थ्य आईडी से जुड़ा होगा. आखिरकार, ऐसा करना का उद्देश्य आपके सभी रिकॉर्ड को एक ही डिजिटल खाते में संग्रहीत करना है."
चंडीगढ़ में एक डिस्पेंसरी में कार्यरत एक स्वास्थ्य कर्मचारी ने मुझे बताया कि वरिष्ठ अधिकारी स्वास्थ्य कर्मियों को लगातार याद दिलाने के लिए संदेश भेज रहे थे कि वे अधिक से अधिक मरीजों को पंजीकृत कराएं. एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने पहचान न बताने की शर्त पर कहा, “यह तकनीकी रूप से अनिवार्य नहीं है लेकिन इन स्थानीय अस्पतालों में आने वाले अधिकांश मरीज बहुत अधिक सवाल पूछे बिना ही पूरी प्रक्रिया से गुजरते हैं.”
स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ता ने मुझे एक व्हाट्सएप संदेश दिखाया जो कांग ने स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों और अस्पतालों के डॉक्टरों को भेजा था. इस संदेश में डॉक्टरों को निर्देश दिया गया कि वे सहायक नर्स (दाइयों) को लोगों से बातचीत के दौरान हेल्थ आईडी की जानकारी एकत्र करने को कहें. संदेश में कहा गया, "अपने निकाय की सभी एएनएमस को निर्देश दें कि वार्षिक सर्वेक्षण के लिए घर-घर जाकर, किसी भी क्षेत्र की गतिविधि के लिए या अपने किसी भी क्षेत्र के दौरे के दौरान घर के सभी लाभार्थियों के स्वास्थ्य आईडी बनाएं. सभी रोगियों को स्वास्थ्य केंद्र जाने पर आईडी बनानी होगी." आगे संदेश में एकत्रित डेटा को एकत्र करने, क्रॉस-चेकिंग और समीक्षा करने के निर्देश बताए गए हैं. संदेश में यह भी जिक्र किया गया कि कई स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने उन लोगों के लिए "परिवार के इनकार दिया" कहा जिन्हें वे साइन अप करने के लिए समझ नहीं पाए. इसमें आगे कहा गया, "यह चेतावनी दी जा रही है कि जिन परिवारों ने इनकार कर दिया है, उनकी जांच की जाएगी और इनकार की जांच की जाएगी. इसलिए स्वास्थ्य आईडी बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें.” संदेश में यह नहीं बताया गया कि स्वास्थ्य आईडी के लिए साइन अप करना वैकल्पिक होगा या स्वैच्छिक.
मैंने एक एएनएम, एक फार्मासिस्ट और चंडीगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत स्थानीय औषधालयों में काम करने वाले दो डॉक्टरों से बात की. उन्होंने यह स्वीकार किया कि उन्हें अपने मरीजों को एनडीएचएम में पंजीकृत करने के लिए अगस्त के मध्य से नियमित निर्देश मिल रहे हैं. नाम न बताने की शर्त पर एएनएम ने बताया, "ऐसा कोई लिखित आदेश नहीं है कि हमारे रोगियों और लाभार्थियों को पंजीकृत करना अनिवार्य है लेकिन हमें मौखिक रूप से सर्वेक्षण पूरा करने, डेटा और आधार विवरण एकत्र करने और उन्हें जल्द से जल्द स्वास्थ्य आईडी के लिए पंजीकृत करने के लिए कहा गया है.”
जिन हेल्थकेयर वर्करों से मैंने बात की वे इस बात को लेकर अनिश्चित थे कि हेल्थ आईडी को टीकाकरण की प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा या नहीं. अन्य इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते थे. उन सभी ने कहा कि उन्होंने सोचा कि मरीज के आधार विवरण को उसकी स्वास्थ्य आईडी से जोड़ना अनिवार्य है. यदि लोग आधार का प्रयोग नहीं करना चाहते तो वे एनडीएएचएम की वेबसाइट पर अपने मोबाइल फोन नंबर का उपयोग करके भी पंजीकरण कर सकते हैं. हेल्थकेयर कार्यकर्ता ने कहा, “आपके और मेरे जैसे लोग उस अवगत निर्णय ले सकते हैं लेकिन जो मरीज हमारे पास आते हैं, वे मांगे जाने पर उनके आधार विवरणों को आसानी से दे देते हैं. वे गोपनीयता और बाकी चीजों के बारे में चिंतित नहीं हैं.
अनुवाद : अंकिता