22 मार्च को जब पूरा देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर “जनता कर्फ्यू” में कोरोनावायरस से लड़ रहे डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्य कर्मचारियों का शुक्रिया अदा करने के लिए ताली-थाली बजा रहा था तब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत “लॉकडाउन” के दौरान लोगों को कम से कम परेशानी कैसे हो इसकी रणनीति बनाने में लगे थे. दरअसल, लगभग पूरी दुनिया के इस निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद कि कोरोनावायरस से बचने का “सोशल डिस्टेंसिंग” ही सबसे उपयुक्त उपाय है, राजस्थान सरकार ने 21 मार्च की रात को ही यह एलान कर दिया था कि प्रदेश में 31 मार्च तक “संपूर्ण लॉकडाउन” रहेगा. इसकी देखादेखी कई अन्य राज्यों ने ऐसा ही फैसला किया और अंत में 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की.
लॉकडाउन की घोषणा ही नहीं, संक्रमण संभावित क्षेत्रों में कर्फ्यू, क्वारंटीन सेंटर और स्क्रीनिंग के मामले में भी राजस्थान देश के उन राज्यों में है जिनका प्रदर्शन बेहतर है. इसके बावजूद यहां कोरोनावायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2 अप्रैल सुबह 8.30 बजे तक 129 कोविड-19 पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं. इनमें ईरान से एयरलिफ्ट कर लाए गए 275 भारतीयों में से संक्रमित निकले 18 लोग और इटली के दो नागरिक भी शामिल हैं. बाकी बचे 109 संक्रमित लोग राजस्थान के 12 जिलों से हैं, जिनमें से जयपुर और भीलवाड़ा ऐसे जिले हैं जहां कॉविड-19 पॉजिटिव मामलों की संख्या दहाई के पार हो गई है. इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक जयपुर में 41 मामले सामने आ चुके हैं जबकि भीलवाड़ा में यह संख्या 26 है.
जयपुर में कोविड-19 के संक्रमण का पहला मामला 3 मार्च को सामने आया था. तब राजस्थान घूमने आए इटली के दंपति पॉजिटिव मिले थे. 25 मार्च तक यह संख्या महज 8 थी. तब यह माना जा रहा था कि गुलाबी नगरी में कोरोनावायरस काबू में है. लेकिन 26 मार्च को रामगंज इलाके के एक शख्स की जांच पॉजिटिव आने के सात दिनों में यह संख्या बढ़कर 41 हो चुकी है. सवाई मान सिंह अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर, जो रिपोर्ट में अपने नाम का उल्लेख नहीं चाहते, ने मुझे बताया कि वह व्यक्ति 13 मार्च को ओमान से घर लौटा था. उन्होंने कहा, “45 साल का यह व्यक्ति 13 मार्च को ओमान से जयपुर आया था. उसे होम क्वारंटीन में रहने को कहा था लेकिन उसने इसे नहीं माना. वह सामान्य दिनचर्या की तरह लोगों से मिलता रहा. उसके संपर्क में आने से अब तक 33 लोगों को संक्रमण हो चुका है. यह संख्या और बढ़ने की आशंका है.”
रामगंज इलाके में पहला पॉजिटिव केस सामने आते ही पुलिस ने पहले दिन एक किलोमीटर के दायरे में कर्फ्यू लगा दिया था. दूसरे दिन एक और पॉजिटिव मिला तो पूरे परकोटे (पुराना जयपुर) में कर्फ्यू लगाया गया. फिलहाल यह इलाका पूरी तरह से सील है. यहां तक कि मीडिया को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है. मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. नरोत्तम शर्मा के अनुसार इस क्षेत्र में कोविड-19 के संक्रमण की चेन बन चुकी है, जिसे तोड़ने के लिए लोगों का एक-दूसरे के साथ संपर्क बंद होना जरूरी है. उन्होंने मुझे बताया, “जिन लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है उनके संपर्क में आए लोगों की स्क्रीनिंग कर क्वारंटीन किया जा रहा है. पूरे जयपुर में 1970 संदिग्ध लोगों की पहचान हुई है. ये या तो विदेश से आए हैं या उनके संपर्क में आए हैं.”
जयपुर के रामगंज में संक्रमण फैलने से पहले भीलवाड़ा में पॉजिटिव मामलों की संख्या सबसे ज्यादा थी. यहां के कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने मुझे बताया, “भीलवाड़ा में अभी तक 26 पॉजिटिव केस मिले हैं, जिनमें से 13 की रिपोर्ट निगेटिव मिली है जबकि दो की मौत हो चुकी है. जिन दो लोगों की मौत हुई है वे कोविड-19 के संक्रमण के अलावा दूसरी कई बीमारियों से ग्रसित थे.” भट्ट ने मुझे आगे बताया, “हमने कोरोना से जंग का पहला चरण पार कर लिया है. दूसरा चरण पार करना जरूरी है इसलिए भीलवाड़ा शहर में 3 से 13 अप्रैल की रात 12.00 बजे तक ऑलडाउन रखा जाएगा. इस दौरान कोई व्यक्ति घर से नहीं निकलेगा. मीडिया, स्वयंसेवी संगठनों और जनप्रतिनिधियों को भी छूट नहीं होगी. जरूरी सामान की आपूर्ति प्रशासन की ओर से डोर-टू-डोर की जाएगी.”
गौरतलब है कि भीलवाड़ा ही वह शहर है जहां राजस्थान में सबसे पहले कोविड-19 संक्रमित मामलों की पहचान हुई थी. इसकी जानकारी देते हुए जिले के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. मुश्ताक अहमद कहते हैं, “भीलवाड़ा में संक्रमण का पहला केस ब्रजेश बांगड़ मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉ. आलोक शर्मा का था, जो संभवत: विदेश से आए दोस्तों से मुलाकात के दौरान संक्रमित हुए. उन्हें संक्रमण का पता नहीं चला इसलिए वे लगातार हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज करते रहे. 19 मार्च को मिली रिपोर्ट में डॉक्टर सहित छह लोग कोविड-19 पॉजिटिव मिले. इसके बाद 20 लोग और पॉजिटिव हो चुके हैं. ये सभी या तो हॉस्पिटल के कर्मचारी हैं या मरीज और उनके परिजन.”
भीलवाड़ा में इतने व्यापक स्तर पर संक्रमण फैलने के बाद यह आशंका जाहिर की जाने लगी थी कि “वस्त्र नगरी” के नाम से प्रसिद्ध राजस्थान का यह शहर इटली बन सकता है, लेकिन इस स्थिति से निपटने के लिए जो मॉडल अपनाया गया वह कोरोना के खिलाफ जारी जंग में मिसाल बन सकता है. भीलवाड़ा के कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने मुझे बताया, “19 मार्च को एक साथ छह लोग कोविड-19 पॉजिटिव मिलते ही हमने कर्फ्यू लगा दिया. 6000 टीमें बनाकर पूरे जिले में स्क्रीनिंग शुरू की. महज 9 दिन में 28 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की गई. इसके आधार पर 6445 लोगों को होम क्वारंटीन और 149 लोगों को हाई रिस्क कैटेगरी में रखकर निगरानी की गई. अब हालात काबू में लग रहे हैं.”
दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लेने गए लोगों पर राज्य सरकार ध्यान दे रही है. अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राजीव स्वरूप ने बताया कि मरकज में प्रदेश से करीब 450 लोग शामिल हुए थे. उन्होंने बताया, “इनका पता लगाकर क्वारंटीन किया जा रहा है. इनमें जिन लोगों में संक्रमण के लक्षण नजर आएं हैं उनकी जांच कराई जा रही है. बुधवार को चूरू में जो 7 और टोंक में 4 पॉजिटिव मिले हैं वे सभी मरकज में शामिल होकर लौटे थे.” पुलिस ने जमात में शामिल हुए लोगों की पहचान के लिए जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, झुंझुनूं, दौसा, अलवर, टोंक, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, बाड़मेर, भरतपुर और करौली जिलों को चिह्नित किया है. यदि इन जिलों में संक्रमण फैला तो यहां स्थिति बेकाबू हो सकती है.
वहीं, जोधपुर में अब तक 9 लोग कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं. यहां 65 साल के एक बुजुर्ग का पॉजिटिव आना स्वास्थ्य विभाग के लिए रहस्य बन गया है. जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने अनुसार इस शख्स की जोधपुर से बाहर जाने की कोई हिस्ट्री नहीं है. उन्होंने कहा, “न्यू कोहिनूर सिनेमा के पास रहने वाले बुजुर्ग को तेज खांसी की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां जांच के बाद कोविड-19 के संक्रमण की पुष्टि हुई. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक यह व्यक्ति जोधपुर के बाहर नहीं गया. यानी इसे विदेश से आए किसी कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति से संक्रमण हुआ है. वह व्यक्ति कौन है और किन-किनके संपर्क में आया है, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है.”
यदि राजस्थान में कोरोनावायरस का संक्रमण फैलने की गति तेज हुई तो इससे निपटना बेहद मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि प्रदेश में कोविड-19 की जांच और उपचार के सीमित संसाधन है. फिलहाल जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर और झालावाड़ के मेडिकल कॉलेजों में जांच की सुविधा उपलब्ध है. पॉजिटिव पाए जाने पर इलाज भी यहीं होता है. राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) रोहित कुमार सिंह ने मुझे बताया, “प्रदेश के पांच मेडिकल कॉलेजों में जांच और इलाज की सुविधा है. पांचों कॉलेजों के लिए जिलों का पूल बना हुआ है.” प्रदेश में 2 अप्रैल सुबह 8.30 तक 6557 लोगों के सैंपल लिए गए हैं. इनमें से 4614 सैंपल कोरोनावायरस से प्रभावित 12 जिलों में से हैं और 1943 सैंपल बाकी जिलों से.
कम संख्या में जांच होने के सवाल पर रोहित कुमार सिंह कहते हैं, “27 हजार लोगों की टीमें घर-घर जाकर एक्टिव सर्विलांस में लगी हुई हैं. ये टीमें डोर-टू-डोर सर्वे और स्क्रीनिंग का काम कर रही हैं. अब तक 92 लाख 9686 घरों का सर्वे कर 3 करोड़ 86 लाख 23 हजार लोगों स्क्रीनिंग हो चुकी है. इनमें जो भी संदिग्ध मिले हैं, उनकी जांचें हुई हैं.” सिंह आगे बताते हैं, “हमारा लक्ष्य है कि राजस्थान के प्रत्येक व्यक्ति की व्यक्तिगत स्क्रीनिंग हो ताकि संदिग्ध केसों की पहचान हो सके. पॉजीटिव लोगों के संपर्क में आए 2000 से ज्यादा लोगों की ट्रेसिंग कर उनकी भी स्क्रीनिंग की जा रही है. राज्य में फिलहाल स्थिति चिंताजनक, लेकिन नियंत्रण में है.”
इस सवाल के जवाब में कि यदि राजस्थान में तेजी से संक्रमण फैला तो सरकार इससे कैसे निपटेगी, चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा कहते हैं, “सरकार हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. 100000 क्वारेंटीन बैड के लक्ष्य के अनुसार अब तक 97000 बैड चिह्नित कर लिए गए हैं. आइसोलेशन के 18182 बैड तैयार हैं. विभाग के पास वेंटीलेटर्स पर्याप्त मात्रा में हैं. 250 वेंटिलेटर्स को खरीदने का ऑर्डर दिया जा चुका है. 10020 पीपीई किट और 69739 एन-95 मास्क हमारे पास उपलब्ध हैं. बफर स्टाक में 3031 पीपीई किट, 36764 एन-95 मास्क भी विभाग के पास उपलब्ध हैं.”