दिल्ली स्थित देश के प्रतिष्ठित जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में फाईन आर्ट्स संकाय के एप्लाइड आर्ट विभाग के छात्रों ने एचओडी हफीज अहमद के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए पिछले 15 दिनों तक विश्वविद्यालय परिसर पर धरना दिया. धरने में सैकड़ों छात्र शामिल हुए. कल शाम जामिया प्रशासन ने आंदोलनकारी छात्रों की सभी मांग मान लेने का आश्वासन दिया जिसके बाद छात्रों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया.
जामिया की फाईन आर्ट्स संकाय देश की शीर्ष संकायों में शामिल है. इसकी स्थापना 1951 में आजाद हिंदुस्तान के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद ने की थी.
प्रदर्शनकारी छात्रों का आरोप है कि एचओडी हफीज अहमद उनके साथ तानाशाहों जैसा व्यवहार और छात्राओं पर अश्लील टिप्पणी करते हैं. साथ ही छात्रों का दावा है कि एचओडी उनके साथ शैक्षिक भेदभाव भी करते हैं. आंदोलनकारी छात्रों को अन्य विभाग के छात्रों के अलावा देश की दूसरी यूनिवर्सिटियों के छात्रों का समर्थन भी मिल रहा है.
कारवां ने कुछ छात्रों से बात की जिन्होंने अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के अनुभव साझा किए.
बीएफए एप्लाइड आर्ट द्वितीय वर्ष में पढ़ रहीं कुलसुम फातिमा प्रथम वर्ष में कक्षा की प्रतिनिधि थीं. फातिमा ने बताया, “मैं क्लास के बाद रोलर वापस करने अपने क्लासमेट राहुल के साथ एचओडी के कार्यालय में गई थी. उन्होंने पूछा कि क्लास में कौन-कौन उपस्थित हैं? मेरे सीनियर दीपेश उस समय क्लास में मौजूद थे, इसलिए मैंने उन्हें बताया कि ‘दीपेश भैय्या’ और अन्य छात्र क्लास में मौजूद हैं.” फातिमा ने बताया कि एचओडी ने उनसे कहा, "आप तो ‘भईया’ बोल कर उनके अरमानों पर पानी फेर रही हैं."’ एचओडी की बात सुनकर “मैं काफी आहत हुई,” फातिमा ने कहा. “एक अन्य बयान में, उन्होंने भरी क्लास में कहा था कि ‘एक महिला की सफलता उसके संबंधों पर निर्भर करती है.’”
नाम न छापने की शर्त पर तृतीय वर्ष की एक छात्रा ने बताया, “सर ने मेरे व्हाट्सएप पर बेहुदे संदेश भेजे, जिसने मुझे असहज कर दिया.” छात्रा ने बताया, "कुछ दिन पहले बीमारी के मैं कारण कॉलेज नहीं जा पा रही थी, तब सर ने यह पूछने के लिए कि मैं कैसी हूं? मुझे ‘प्रिय, अप्पी और क्वीन’ कहकर मैसेज किया था.” इस छात्रा का कहना है कि इसके बाद वह असुरक्षित और नर्वस महसूस करने लगी. “वह पूरे विभाग के हैड हैं, इसलिए मैं न तो उन्हें रोक सकती थी और न ही उनसे भिड़ सकती थी.” कारवां के पास इन संदेशों के स्क्रीनशॉट हैं.
फाइन आर्ट्स संकाय के कई छात्रों का कहना है कि विभाग में योग्य शिक्षकों की कमी है. विभाग में सिर्फ एक स्थाई शिक्षक है. इन छात्रों ने बताया कि हफीज अहमद दूसरे संकाय के अपने करीबी शिक्षकों को बुलाकर खानापूर्ति करा देते थे. उनका यह भी दावा है कि एचओडी नंबर देने जैसी बातों में भी पक्षपात करते थे. बीएफए एप्लाइड आर्ट द्वितीय वर्ष के छात्र ध्रुव मंडल का कहना है, “इससे हमारा भविष्य अधर में लटक गया है,”.
द्वितीय वर्ष के छात्र राहुल पासवान ने बताया कि उसने एचओडी के सामने शिक्षकों की कमी, सही नंबर मार्किंग, पक्षपात जैसी समस्याएं रखी थीं. पासवान ने कहा, “उन्होंने मुझे फेल करने की धमकी दी और कहा, ‘अब मैं तुम्हें अपनी पावर दिखाऊंगा.’ साथ ही उन्होंने मुझे कॉलेज से बाहर कर देने की धमकी भी दी.”’
बीएफए एप्लाइड आर्ट तृतीय वर्ष के छात्र यूनुस नोमानी ने बताया कि एक बार पेंटिंग विभाग में कई दिन चलने वाली एक वर्कशॉप में शामिल होने का निमंत्रण उसे एक सीनियर ने दिया. “पहले दिन मैं वर्कशॉप में शामिल हुआ, लेकिन जब मैं दूसरे दिन एचओडी से इजाजत लेने गया तो उन्होंने मुझे इजाजत नहीं दी.” नोमानी के कश्मीरी दोस्तों की ओर इशारा करते हुए हफीज अहमद ने कहा, “मैं अच्छी तरह जानता हूं कि आप कहां और किसके साथ रहते हैं और क्या करते हैं.” नोमानी का कहना है कि हफीज अहमद ने कश्मीरी दोस्तों से दूर रहने की हिदायत दी. “मुझे अपनी बात रखने का भी मौका नहीं दिया.”
एक अन्य बीएफए एप्लाइड आर्ट चौथे वर्ष की छात्रा रिदम बत्रा ने बताया कि हफीज अहमद उनके साथ बदतमीजी से पेश आते थे. एक बार पूरी क्लास के सामने उन्होंने बेहद तल्ख लहजे में बत्रा को डांटा. बत्रा कहती हैं, “मैं आपसे बता भी नहीं सकती कि उन्होंने मुझे उस दिन क्या-क्या कहा.”
ध्रुव मंडल का यह भी कहना है कि जब छात्रों ने आवाज उठानी शुरू की तो हफीज अहमद ने उसे अपने ऑफिस में बुलाकर धमकी दी. हफीज अहमद ने मंडल से कहा, “अब मैं तुम्हें भी देखूंगा और जिसके कहने पर तुम यह कर रहे हो उन्हें भी देखूंगा,”.
धमकी देने की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग कारवां के पास भी है.
गौरतलब है कि एचओडी हफीज अहमद के खिलाफ पहले भी कई बार शिकायत की जा चुकी हैं और 2018 में उन्हें वाइस चांसलर तलत अहमद ने हटा दिया था. लेकिन तलत अहमद के जाने के बाद फिर से उन्हें एचओडी के पद पर नियुक्त कर दिया गया. छात्रों ने इस फैसले के विरोध में डीन को पत्र लिखकर उनकी दोबारा नियुक्ति पर सवाल उठाए थे. उस पत्र के अनुसार, हफीज अहमद पर पहले भी भेदभाव और दुर्व्यवहार के आरोप लग चुका हैं. पत्र की एक कॉपी कारवां के पास मौजूद है.
जब मैंने एचओडी हफीज अहमद से इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि कुछ छात्रों को लोग अपने सियासी फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. हफीज अहमद ने मुझसे कहा, “यहां सब कुछ पूरी तरह सही है, अगर छात्र आकर बात करेंगे तो उनकी समस्याओं का पूरी तरह समाधान किया जाएगा.” शिक्षकों की कमी के सवाल पर उन्होंने बताया कि कुछ लोग सेवानिवृत्त हुए हैं और नियुक्ति प्रक्रिया वाइस चांसलर के न होने की वजह से रुकी हुई है, लेकिन अन्य शिक्षकों को बुलाकर कक्षाएं पूरी कराई जा रही हैं.
जामिया चीफ प्राक्टर हारून सज्जाद ने छात्रों से बात कर उन्हें समझाने और उनकी सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया है.
मैंने प्राक्टर हारून सज्जाद से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि छात्रों की अधिकतर शिकायतें मान ली गई हैं. हफीज अहमद को हटाने की बात पर उन्होंने कहा कि जो आरोप लगाए गए हैं उनकी जांच “फैक्ट फाइंडिंग” कमिटी करेगी, “इसमें कुछ समय तो अवश्य लगेगा.” सज्जाद ने कहा कि जांच में जो भी बात सामने आएगी, विश्वविद्यालय उस पर उचित निर्णय लेगा. फिलहाल हफीज अहमद को 3 माह के अवकाश पर भेज दिया गया है और उनके स्थान पर एप्लाइड आर्ट विभाग की डीन प्रो. नुजहत काजमी को विभाग का कार्यकारी प्रमुख बनाया गया है. “हफीज अहमद की सभी एकेडमिक और प्रशासनिक शक्तियां छीनी जा चुकी हैं.”
धरना खत्म होने पर छात्रा फातिमा ने कहा, “हम एक कदम आगे बढ़ चुके हैं. हमारे छात्रों को कमिटी में शामिल कर लिया गया है. उम्मीद करते हैं कि अब रिपोर्ट निष्पक्ष आएगी.”