खस्ताहाल जेलों की खराब स्वास्थ्य व्यवस्था में महामारी से जूझते राजनीतिक बंदी

29 अगस्त 2018 को भीमा कोरेगांव मामले में पांच व्यक्तियों की गिरफ्तारी के विरोध में भाग लेते नौजवान औरऔर छात्र. इंद्रनील चौधरी / नूरफोटो / गैटी इमेजिस
29 अगस्त 2018 को भीमा कोरेगांव मामले में पांच व्यक्तियों की गिरफ्तारी के विरोध में भाग लेते नौजवान औरऔर छात्र. इंद्रनील चौधरी / नूरफोटो / गैटी इमेजिस

भीमा कोरेगांव मामले के 16 आरोपियों में से पांच बिना मुकदमे के ही तीन साल से अधिक समय जेल में बिता चुके हैं. सात को कोविड-19 है और अन्य कई गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं. दूसरी लहर और जेलों में बिगड़ती स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में आ रही रिपोर्टों के बावजूद सरकार इन राजनीतिक बंदियों को रिहा करने से इनकार कर रही है.

1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़काने की साजिश रचने के आरोपी महेश राउत, सागर गोरखे और रमेश गायचोर को कोरोना है. 2 जून को मुंबई की तलोजा जेल में तीनों की कोविड जांच पॉजिटिव आई थी. अगले दिन उनके वकील निहाल सिंह राठौड़ ने मुझे बताया, "उन्हें अभी तक कोविड की कोई दवा नहीं दी गई है. यहां तक कि विटामिन की गोलियां भी नहीं दी जा रही हैं.” राठौड़ ने बताया कि आरोपियों को तलोजा जेल की 15x8 साइज की कोठरी में अन्य कैदियों के साथ रखा जा रहा है. अधिकारी सब कुछ उपलब्ध कराने का दावा करते हैं लेकिन मरीजों को गर्म पानी तक नहीं दिया जाता. शौचालय की सुविधा, स्वच्छता और अन्य कोविड सावधानियां नहीं बरती जा रही हैं. तलोजा जेल के अधीक्षक कौस्तुभ कुर्लेकर ने ईमेल किए गए सवालों का जवाब नहीं दिया.

भीमा कोरेगांव मामले के 13 मर्द आरोपी तलोजा सेंट्रल जेल में बंद हैं और तीन महिलाएं (सुधा भारद्वाज, शोमा सेन और ज्योति जगताप) महाराष्ट्र की भायखला जेल में हैं. शोमा की बेटी कोयल के मुताबिक उनकी मां और 40 अन्य कैदियों को एक साथ रखा जाता है.

84 वर्षीय जेसुइट पादरी स्टेन स्वामी को तलोजा जेल से नवी मुंबई के होली फैमली अस्पताल में स्थानांतरित करने के बाद राउत, गोरखे और गायचोर की कोविड जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई. कई दिनों तक स्वामी की तबीयत बिगड़ने के बावजूद भीमा कोरेगांव मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कई मौकों पर उनकी चिकित्सा उपचार की याचिका का विरोध किया. आखिरकार उन्हें एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा जेल अधिकारियों को 28 मई को ऐसा करने का निर्देश दिए जाने के बाद ही यह हुआ. दो हफ्ते पहले बीके-16 (भीमा कोरेगांव के 16 आरोपी) प्रोफेसर हनी बाबू की भी कोरोनावायरस जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई. तब तक लगभग दो सप्ताह हो चुके थे और घातक म्यूकोर्मिकोसिस के लक्षणों के साथ एक आंख में भी संक्रमण हो गया था. पर्याप्त चिकित्सा देखभाल के लिए बाबू को कई बार अदालतों में याचिका डालनी पड़ी.

बाबू की पत्नी जेनी रोवेना ने मुझे बताया, “ऐसा लगता है कि एक बार अगर आपको जेल हो गई, तो आपके सभी अधिकार छीन लिए जाते हैं.” बीके-16 वकील सुरेंद्र गाडलिंग की पत्नी मीनल गाडलिंग ने मुझसे कहा, “उन्हें इस तरह क्यों प्रताड़ित किया जा रहा है और बार-बार जमानत से वंचित क्यों किया जा रहा है? परोक्ष रूप से आप उन्हें मौत की ओर धकेल रहे हैं. हम सब बहुत चिंतित हैं.”

निलीना एम एस करवां की स्टाफ राइटर हैं. उनसे nileenams@protonmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.

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