जारी विधानसभा चुनाव यदि 2024 के आम चुनाव का सेमीफाइनल हैं, जैसा कि कई लोग कह रहे हैं, तो क्या कांग्रेस को चुनावी राज्यों में अपने भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन अथवा इंडिया के सहयोगियों से पूरी मदद लेकर विपक्षी गुट को और मजबूत नहीं करना चाहिए था? पार्टी के गठबंधन सहयोगी निश्चित रूप से ऐसा सोचते हैं और इस अवसर को गंवाने के लिए कांग्रेस की आलोचना कर रहे हैं. कांग्रेस और इस गठबंधन के अन्य सदस्य अब कई राज्यों, विशेषकर मध्य प्रदेश और तेलंगाना में, एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं. मध्य प्रदेश में सीट बंटवारे को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के चेहरे कमलनाथ के बीच हाल ही में हुए झगड़े ने राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कांग्रेस नेतृत्व के बीच मतभेद और गठबंधन के सहयोगियों के प्रति कांग्रेस की प्रतिबद्धता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं.
इस साल की शुरुआत में “हिंदुत्व” पर हुए विवाद पर कांग्रेस पार्टी के नेताओं के विरोधाभासी बयानों से विसंगति स्पष्ट हो गई थी और तब से यह जारी है. अक्टूबर में समाचार रिपोर्टों में बताया गया कि कांग्रेस और सपा मध्य प्रदेश में इंडिया गठबंधन में सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले पर बातचीत करने को तैयार थे लेकिन कमलनाथ के अड़ियल रवैये के कारण समझौता नहीं हो सका. 2018 के चुनावों में सपा ने राज्य में एक सीट जीती थी और पांच अन्य सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी. इसने राज्य में, विशेषकर उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे क्षेत्रों में, संक्षिप्त लेकिन निरंतर उपस्थिति बनाए रखी है.
तब से यादव और नाथ दोनों ने सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे का उपहास किया है. यादव ने मीडिया से कहा, "राज्य प्रमुख के पास कोई अधिकार नहीं है. पटना, मुंबई में हुई बैठक में वह मौजूद नहीं थे. वह गठबंधन के बारे में क्या जानता है? कांग्रेस के ये लोग बीजेपी से मिले हुए हैं. अगर मुझे पता होता कि गठबंधन राज्य स्तर पर नहीं है तो मैं सपा नेताओं को दिग्विजय सिंह के पास नहीं भेजता. अगर मुझे पता होता कि कांग्रेस के लोग हमें धोखा देंगे तो मैं उन पर भरोसा नहीं करता." जब मीडिया ने यादव के आरोप के बारे में पूछा, तो नाथ ने उपहासपूर्वक जवाब दिया, "इस अखिलेश-वखिलेश को छोड़ दो." इसके बाद यादव ने कांग्रेस पर एक “धूर्त” पार्टी होने का आरोप लगाया जो केवल वोट हासिल करने के लिए जाति जनगणना का मुद्दा उठा रही है. इसके बाद सपा ने राज्य की चालीस से अधिक सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है.
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य और गठबंधन की समन्वय समिति के सदस्य जावेद अली खान ने मुझे बताया, "कमलनाथ इंडिया गठबंधन समन्वय समिति के फैसलों की अनदेखी कर रहे हैं." आम चुनाव के लिए इन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए गठबंधन के सदस्यों की अक्टूबर में भोपाल में बैठक होने वाली थी. कांग्रेस के एक अन्य कार्यक्रम में हुई प्रेस वार्ता में नाथ ने घोषणा की कि रैली रद्द कर दी गई है- जो कि गठबंधन के अन्य सदस्यों के लिए चौकाने वाली की बात था. खान ने कहा, ''कांग्रेस पार्टी ने नहीं, बल्कि कमलनाथ ने अपने आप ही यह घोषणा की थी.'' राज्य के चुनावों में नाथ ने 14 मुख्यधारा के टीवी समाचार एंकरों के "नफरत से भरे" प्राइमटाइम शो का बहिष्कार करने की इंडिया गठबंधन के सितंबर के फैसले का भी उल्लंघन किया. उन्होंने हाल ही में टाइम्स नाउ की एंकर नविका कुमार को एक साक्षात्कार दिया.
खान ने बताया कि सपा ने इंडिया की बैठक में पूछा था कि क्या गठबंधन राज्य चुनावों के लिए वैध होगा और कांग्रेस नेताओं ने कहा था कि वे अपने राज्य के नेताओं के साथ इस मामले पर चर्चा करेंगे. “कांग्रेस को यह देखना होगा कि क्या उनका राज्य नेतृत्व इंडिया गठबंधन के साथ है. फिलहाल ऐसा लगता है कि कमलनाथ को केवल अपने राज्य की चिंता है. मैं चुनावों और इंडिया गठबंधन पर बात करने के लिए मध्य प्रदेश में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के पास गई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.
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