सीएए-एनआरसी : बिहार के औरंगाबाद में पुलिसिया हिंसा के बाद जमानत पर रिहा नाबालिगों की आपबीती

22 फ़रवरी 2020
21 दिसंबर 2019 को सीएए और एनआरसी के खिलाफ राजद के बिहार बंद के दौरान पटना के डाक बंगला क्रॉसिंग पर प्रदर्शन करते आंदोलनकारी. औरंगाबाद शहर से पुलिस ने 46 लोगों को गिरफ्तार किया था जिनमें से 14 नाबालिग थे.
संतोष कुमार/हिंदुस्तान टाइम्स/गैटी इमेजिस
21 दिसंबर 2019 को सीएए और एनआरसी के खिलाफ राजद के बिहार बंद के दौरान पटना के डाक बंगला क्रॉसिंग पर प्रदर्शन करते आंदोलनकारी. औरंगाबाद शहर से पुलिस ने 46 लोगों को गिरफ्तार किया था जिनमें से 14 नाबालिग थे.
संतोष कुमार/हिंदुस्तान टाइम्स/गैटी इमेजिस

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनाआरसी) और नागरिकता संशोधन कानून, 2019 (सीएए) के खिलाफ 21 दिसंबर को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बिहार बंद के दौरान औरंगाबाद शहर में कथित तौर पर पुलिस पर हुए पथराव के बाद पुलिसिया कार्रवाई में कुल 46 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इन गिरफ्तार लोगों में 14 नाबालिग थे.

इनमें से 13 नाबालिगों को अलग-अलग तारीखों में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने जमानत दे दी है. लेकिन, जमानत के लिए उनके परिजनों को बड़ी मशक्कत करनी पड़ी. अव्वल तो उनके परिजनों को यह साबित करने में ही एक महीना गुजर गया कि ये 13 नाबालिग हैं. नाबालिगों के परिजनों ने मुझे बताया कि नाबालिग साबित करने के लिए स्कूल के सर्टिफिकेट समेत अन्य जरूरी दस्तावेज भी दिखाए थे, लेकिन उनका केस जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में स्थानांतरित नहीं किया गया, बल्कि सभी नाबालिगों को बालिग बताकर औरंगाबाद मंडल कारा (जेल) भेज दिया गया. बाद में 3 जनवरी को आरोपितों के वकील ने सभी 14 नाबालिगों के केस की सुनवाई जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में करने का आवेदन दिया था, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में सुनवाई के बाद, आखिरकार उन्हें गया के जुवेनाइल होम में भेज दिया गया. इससे पहले उन्हें करीब एक महीना औरंगाबाद मंडल कारा में संगीन अपराधों में सजा काट रहे अपराधियों के साथ बिताना पड़ा.

नाबालिग समेत 43 आरोपियों की तरफ से केस लड़ रहे वकील मेराज खान ने मुझे बताया, “13 में से 10 नाबालिगों के सर्टिफिकेट और उनके चेहरे-मोहरे से अदालत संतुष्ट हो गई कि उनकी उम्र कम है. वहीं, तीन नाबालिगों की उम्र का पता लगाने के लिए उनकी मेडिकल जांच कराने का आदेश दिया गया है. इन 13 नाबालिगों को जमानत मिल गई है, जबकि अन्य आरोपियों, जिनमें तीन महिलाएं और एक नाबालिग भी शामिल हैं, की जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं.”

एनआरसी-सीएए के खिलाफ राजद के बिहार बंद के दौरान औरंगाबाद शहर में जामा मस्जिद के पास दो गुटों में पत्थरबाजी हुई थी, जिसके बाद कुरैशी मोहल्ला, डॉ. नेहाल की गली, शाहगंज, पठान टोली आदि मुस्लिम बहुल इलाकों में पुलिस ने बर्बर कार्रवाई की थी. हालांकि, उस दिन औरंगाबाद शहर के जामा मस्जिद के पास कानून व व्यवस्था बनाए रखने के लिए ड्यूटी पर तैनात औरंगाबाद के ग्रामीण विकास अभिकरण के असिस्टेंट इंजीनियर मनोज कुमार ने पुलिस को दिए अपने लिखित बयान में कहा था कि गिरफ्तार सभी आरोपित पुलिस पर पथराव में शामिल थे. इसी बयान के आधार पर पुलिस ने भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी. लेकिन, इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद फुटेज व स्थानीय लोगों के मोबाइल में दर्ज तस्वीरों से साफ पता चलता है कि पुलिस ने बर्बरता की थी.

हमें ले जाकर पुलिसवालों ने कहा कि हमलोग दौड़ कर हाजत में जाएं. जब हमलोग दौड़ने लगे, तो दो दर्जन से ज्यादा पुलिसवाले हम पर अंधाधुंध लाठियां बरसाने लगे. वे हमारे सिर पर लाठियां मार रहे थे.

उमेश कुमार राय पटना के स्वतंत्र पत्रकार हैं.

Keywords: Anti-CAA Protests CAA Aurangabad Bihar Police Bihar NRC
कमेंट