बिहार के गांवों तक पहुंची सांप्रदायिक नफरत

21 अप्रैल 2020
बिहार के गांवों में मुसलमानों के खिलाफ अफवाहें फैलाई जा रही हैं. लोगों की शिकायत है कि उन्हें सामान बेचने से इनकार किया जा रहा है. (यह प्रतीकात्मक फोटो इलाहाबाद महाकुंभ की है.)
इग्जोटिका.इम/ यूनीवर्सल इमेज ग्रुप/ गैटी इमेजिस
बिहार के गांवों में मुसलमानों के खिलाफ अफवाहें फैलाई जा रही हैं. लोगों की शिकायत है कि उन्हें सामान बेचने से इनकार किया जा रहा है. (यह प्रतीकात्मक फोटो इलाहाबाद महाकुंभ की है.)
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बिहार के बेगूसराय जिले के भगवानपुर गांव के रहने वाले 40 वर्षीय मोहम्मद अफाक आलम साइकिल से गांव में घूम-घूम कर कम्पाउंडरी करते हैं. उनके वालिद भी यही करते थे, तो अफाक ने भी यही पेशा चुन लिया. पिछले 9 अप्रैल को अफवाह उड़ा दी गई कि वह घूम-घूम कर कोरोनावायरस का इलाज करते हैं और इसलिए वह खुद भी कोरोनावायरस से संक्रमित हो गए हैं. यह अफवाह तेजी से फैली, तो उसी दिन पुलिस उनके पास पहुंच गई. अफाक आलम ने मुझे बताया, "पुलिस आई और मुझे जांच के लिए अस्पताल ले गई. अस्पताल में मेरी जांच हुई और इसके बाद मुझे एक कागज थमा दिया गया, जिसमें लिखा था कि मेरी जांच हुई और मुझे कोरोनावायरस का संक्रमण नहीं है. मैं कागज लेकर लौटा और गांव के सभी लोगों को दिखाया कि ‘देखिए मैं कोरोनावायरस से संक्रमित नहीं हूं’. लेकिन लोगों ने नहीं माना. इस अफवाह के बाद सब्जी वाला मुझे सब्जी नहीं दे रहा. जिसके यहां से पीने का पानी लाता था, उसने पानी देने से इन्कार कर दिया."

अस्पताल से मिले कागज के टुकड़े को उन्होंने किसी जरूरी दस्तावेज की तरह लेमिनेशन करवा कर रखा है. अफाक ने मुझे कहा, "स्वास्थ्य विभाग से स्वस्थ होने का प्रमाण मिल जाने के बावजूद न केवल मेरे परिवार का बल्कि मेरे मोहल्ले में स्थित सभी 45-50 मुस्लिम परिवारों का सामाजिक बहिष्कार जारी है. हालत ये हो गई है कि कोई मुझसे दवा भी नहीं लेता है. सब्जी का ठेला गांव में आता है, तो लोग उसे मुस्लिम मोहल्ले में आने से रोक देते हैं."

अफाक ने मुझे बताया कि उनके और उनके मोहल्ले के मुस्लिमों के घरों पर पथराव किया जाता है. इसको लेकर उन्होंने 13 अप्रैल को थाने में लिखित आवेदन भी दिया है. आवेदन में उन्होंने लिखा है कि मुन्ना चौधरी नाम का शख्स उन्हें कोरोनावायरस का मरीज बताकर धमकी देता है और उनके तथा उनके समुदाय के लोगों के घर पर पथराव किया जाता है. इस आवेदन को स्थानीय मुखिया ने सत्यापित किया है.

इलाके के मुसलमान गरीब हैं और हिंदुओं के खेतों में कटनी कर रोजी-रोटी चलाते हैं, लेकिन इस अफवाह के बाद उन्हें खेतों में काम नहीं दिया जा रहा है. स्थानीय निवासी मोहम्मद तनवीर ने बताया, "मैं गेहूं कटने गया था, तो लोगों ने यह कहा कर भगा दिया कि मुझे कोरोनावायरस हुआ है. दुकान से राशन-पानी लेने जाता हूं, तो वहां से भी हमलोगों को भगा दिया जाता है. रास्ते में आता-जाता हूं, तो हिंदू लोग कहते हैं कि ‘मियां आ रहा है, इससे हट कर रहो.’” मुस्लिमों का आरोप है कि उनके साथ मारपीट भी की जाती है. तनवीर ने बताया, "मेरी खाला को उन लोगों ने धक्का दे दिया था, जिससे उनके पैर में चोट आ गई."

बेगूसराय में कोरोनावायरस संक्रमण का पहला मामला 31 मार्च को सामने आया था. 16 अप्रैल तक बेगूसराय में कोरोनावायरस संक्रमित मरीजों की संख्या 8 हो गई है. बिहार सरकार ने बेगूसराय को हॉटस्पॉट घोषित किया है.

उमेश कुमार राय पटना के स्वतंत्र पत्रकार हैं.

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