जादवपुर विश्वविद्यालय में बाबुल सुप्रियो और छात्रों के बीच क्या हुआ था

भारतीय जनता पार्टी के नेता पर 19 सितंबर को परिसर में हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया है. समीर जाना / हिन्दुस्तान टाइम्स / गैटी इमेजिस

माथा नोआटे शिखिनी कोखोनो शशोक तोमार काछे/जादवपुरेर दिवाले ​दिवाले बिद्रोहो लेखा आछे" यानी हमें सत्ता के आगे झुकना नहीं सिखाया गया है/जादवपुर की हर दीवार पर विद्रोह लिखा है.

20 सितंबर को कोलकाता का जादवपुर विश्वविद्यालय विरोध प्रदर्शन करते हजारों छात्रों के इस नारे की आवाज से गूंज उठा. "इंकलाब जिंदाबाद" और "होक कोलोरोब" यानी “हल्ला बोल” का शोर दक्षिण कोलकाता के केंद्र में गूंज उठा. जेयू के छात्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) द्वारा पिछले दिनों विश्वविद्यालय परिसर के भीतर और बाहर की गई हिंसा, बर्बरता और आगजनी के विरोध में एक साथ आ खड़े हुए थे. इस रैली के बैनरों में "फासीवादी साजिशों और आतंक के खिलाफ विरोध रैली" जैसे नारे और पत्रकार रवीश कुमार का रेमन मैगसेसे पुरस्कार समारोह में दिया गया भाषण अंकित था. मैंने विभिन्न राजनीतिक दलों की युवा शाखाओं के छात्रों को देखा और ऐसे छात्रों से मुलाकात की जिन्होंने बताया कि वे किसी राजनीतिक संगठन से नहीं जुड़े हैं.

इसके तीन दिन बाद विश्वविद्यालय एक और गतिरोध का केंद्र बन गया था क्योंकि एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने पांच दिनों में दूसरी बार परिसर में हुड़दंग मचाने की कोशिश की. दोपहर में कोलकाता पुलिस ने जेयू के गेट नंबर चार पर बैरिकेड खड़े कर दिए, जबकि शिक्षकों ने गेट के सामने मानव श्रृंखला बनाई, जो एबीवीपी के विश्वविद्यालय गेट पर हमला करने के प्रयासों के खिलाफ प्रतिरोध का एक शांतिपूर्ण तरीका था. तुलनात्मक साहित्य विभाग के प्रोफेसर और मानव श्रृंखला की अग्रिम पंक्ति में शामिल सामंतक दास ने मुझे बताया “बैरिकेडों का मूल्य भौतिक से अधिक प्रतीकात्मक और नैतिक है. हमारी मौजूदगी छात्रों को यह बताती है कि हम छात्रों और विश्वविद्यालय की रक्षा करने के लिए वहां मौजूद हैं.” उन्होंने कहा कि “हम जादवपुर विश्वविद्यालय के विचार यानी एक ऐसी जगह की रक्षा करने के लिए वहां गए थे जिसमें हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है.”

सामंतक 19 सितंबर को जेयू परिसर में हुई झड़पों का जिक्र कर रहे थे, जिसके बाद 20 और 23 सितंबर को विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. उस दिन, भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो और फैशन डिजाइनर से बीजेपी नेता बनीं अग्निमित्रा पॉल विश्वविद्यालय की एबीवीपी शाखा द्वारा नए छात्रों के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करने वाले थे. एबीवीपी, जिसका जेयू में महत्वपूर्ण प्रतिनिधित्व नहीं है, पिछले कुछ वर्षों से, बिना किसी सफलता के, विश्वविद्यालय में पैठ बनाने की कोशिश कर रहा है.

विश्वविद्यालय के फिल्म अध्ययन विभाग में स्नातकोत्तर छात्र नीलाद्रि पाल के अनुसार, जेयू में एबीवीपी की दक्षिणपंथी विचारधारा को अपनाने वाले बहुत ज्यादा लोग नहीं हैं. उन्होंने मुझे बताया कि विश्वविद्यालय के छात्रों की नजर में एबीवीपी का कार्यक्रम एक राजनीतिक बैठक थी, जिसे नये छात्रों के लिए कार्यक्रम की आढ़ में आयोजित किया गया था. जैसे ही एबीवीपी के कार्यक्रम की खबर फैली, छात्रों ने इसका विरोध करने का निर्णय लिया. "हमने परिसर के भीतर इस तरह के एक संगठन की उपस्थिति से होने वाले संभावित खतरों की पहचान की और इसीलिए विरोध किया," पॉल ने कहा. जेयू में छात्र सक्रियता का एक इतिहास रहा है, जो विश्वविद्यालय की लोकतांत्रिक स्वतंत्रता की परंपरा की रक्षा करता है, भले ही सत्ता में कोई भी सरकार क्यों न हो. आखिरी बार जेयू में इस पैमाने का विरोध 2014 में हुआ था, जो होक कोलोरोब आंदोलन के रूप में जाना जाता है, उस दौरान छात्रों ने ममता बनर्जी प्रशासन के कथित निरंकुशता का विरोध किया था.

गुरुवार को परिसर में मौजूद गवाहों के अनुसार, दोपहर करीब 1.30 बजे, छात्र एबीवीपी कार्यक्रम स्थल केपी बसु मेमोरियल हॉल के बाहर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए इकट्ठा हुए थे. दोपहर 2 बजे के आसपास, पॉल समारोह स्थल पर पहुंची और छात्रों ने उन्हें घेर लिया तथा तुरंत वापस जाने के लिए कहा. जब उन्हें बचाते हुए हॉल के प्रवेश द्वार की ओर ले जाया जा रहा था तो उनके साथ का एक पुरुष सुरक्षाकर्मी एक छात्र को थप्पड़ मार रहा था. आगे क्या हुआ इस पर कोई सहमति नहीं है. कुछ छात्रों ने जोर देकर कहा कि उन्हें अपने सुरक्षाकर्मी के व्यवहार के बावजूद बिना किसी समस्या के कार्यक्रम स्थल में प्रवेश करने की अनुमति दी गई थी, जबकि पॉल खुद दावा करती हैं कि यहां पर उन्हें परेशान किया गया और उनके साथ छेड़छाड़ की गई थी. रिपोर्टों के अनुसार, पॉल के आने के कुछ ही मिनटों बाद, सुप्रियो भी परिसर में पहुंचे और अपनी कार को विश्वविद्यालय के गेट नंबर तीन पर पार्क किया. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के कम से कम चार सशस्त्र कर्मी उनके साथ थे और जैसे ही वह अपनी कार से बाहर निकले, एबीवीपी के कई कार्यकर्ताओं ने उन्हें घेर लिया.

जेयू के छात्रों ने सुप्रियो के विश्वविद्यालय परिसर में हथियारों से सुसज्जित सुरक्षाकर्मियों के साथ प्रवेश करने पर ज्यादा नहीं बताया. आलोचना तब तेज हुई जब हो-हल्ले के बाद एक भरी हुई मैगजीन मेमोरियल हॉल के बाहर पड़ी मिली, जिसे बाद में सुप्रियो के सुरक्षा​कर्मियों ने उठा लिया. छात्रों का आरोप है कि मुख्यधारा के समाचार चैनलों में से किसी ने भी विश्वविद्यालय परिसर के बीच में लावारिस पड़ी एक भरी हुई मैगजीन की फुटेज को नहीं दिखाया. "एक छात्र को सीआरपीएफ या एक भरी हुई मैगजीन के साथ क्यों आना चाहिए जो एक स्वचालित राइफल के साथ बरती गई लापरवाही का एक उदाहरण है, जिसके चलते सामान्य कार्य दिवस पर आकस्मिक गोलीबारी हो सकती है? क्या इससे परिसर के भीतर छात्रों की सुरक्षा को खतरा नहीं है?"

घटना स्थल पर, प्रदर्शनकारी छात्रों ने अपना ध्यान पॉल से हटा दिया, जो पहले से ही हॉल के अंदर सुप्रियो के नजदीक थी और उन्हें हॉल में प्रवेश करने से रोकने के लिए एक मानव बैरिकेड बना दिया. इसके बाद सुप्रियो ने अपने सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों की मदद से बैरीकेड तोड़ कर निकलने की कोशिश की जिससे प्रदर्शनकारी छात्रों, सुप्रियो और सीआरपीएफ के जवानों के बीच झड़प हुई. जो छात्र बैरिकेड का हिस्सा थे, उन्होंने दावा किया कि सुप्रियो ने छात्रों और जेयू के सुरक्षा गार्डों के साथ अभद्रता की. इसके बाद बैरिकेड में शामिल कुछ छात्रों ने सुप्रीयो के खिलाफ शारीरिक रूप से जवाबी कार्रवाई की, उन्होंने इस तरह से सुप्रियो को जवाब दिया. सुप्रियो ने तब विश्वविद्यालय के तुलनात्मक साहित्य विभाग में तीसरे वर्ष के छात्र सुष्मिता प्रामानिक को थप्पड़ मारा, जो मानव बैरिकेड में सबसे आगे था. "किसी तरह, हंगामे के बीच मैं सुप्रियो के सामने आया और फिर उन्होंने मुझे मारा, मुझे बालों से पकड़ लिया और हमें गालियां भी दीं," प्रामानिक ने कहा.

लगभग 3.30 बजे, सुप्रियो और छात्रों के बीच झड़प तीखी हो जाने के बाद, जेयू के कुलपति, सुरंजन दास आगे बढ़े और उन्हें बचाते हुए कार्यक्रम स्थल पर ले गए. लेकिन सुप्रियो ने दास पर आरोप लगाने शुरू कर दिए - जिसमें यह भी शामिल था कि दास उन्हें लेने के लिए इसलिए नहीं आए थे क्योंकि वह "वामपंथी" थे, ये सभी बातें वीडियो पर रिकॉर्ड हुई हैं और सोशल मीडिया पर फैली हैं. जैसे ही सुप्रियो इस कार्यक्रम में शामिल हुए, जेयू के छात्रों ने एक आम सभा की बैठक बुलाई और सर्वसम्मति से फिर से उन पर रोक लगाने का फैसला किया और उन्हें माफी मांगने तक परिसर से बाहर जाने से रोक दिया.

शाम करीब 5.30 बजे, जब सुप्रियो ने परिसर से बाहर निकलने की कोशिश की, एक बार फिर छात्रों ने उन्हें चारों ओर घेर कर उनका रास्ता रोक लिया. सुप्रियो ने एक कार के बोनट पर बैठकर गाना शुरू किया, महिला छात्रों और उनकी पोशाक के बारे में गलत टिप्पणी की, छात्रों से नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स के बारे में सवाल करने की कोशिश की और उन पर देशद्रोह का आरोप लगाने और जेयू की फंडिंग को रद्द करा देने की धमकी दी - वह इस बात से अनजान लग रहे थे कि जेयू एक स्वायत्त राज्य विश्वविद्यालय है. तब तक, विश्वविद्यालय को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था और इस घटना के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए परिसर में मौजूद कोलकाता पुलिस को अंदर तैनात कर दिया गया था.

इस बीच छात्रों और सुप्रियो के बीच गतिरोध जारी रहा, एबीवीपी के सदस्यों ने जेयू के गेट नंबर चार के बाहर इकट्ठा होना शुरू कर दिया, उन्हें गेट के ठीक बाहर पुलिस कर्मियों का सामना करना पड़ा. कुछ छात्रों ने मुझे बताया कि संघ परिवार के अंतर्गत एक महिला संगठन दुर्गा वाहिनी के सदस्य भी भीड़ का हिस्सा थे. कई प्रत्यक्षदर्शियों और ऑडियो-विजुअल फुटेज ने पुष्टि की कि एबीवीपी के सदस्य तलवारों, ईंट-पत्थर, त्रिशूल और बोतलों से लैस थे और “जय श्री राम,” तथा “भारत माता की जय” के नारे लगा रहे थे. मैंने जितने छात्रों से बात की, उन्होंने कहा कि एबीवीपी के सदस्यों में अधिकांश मध्यम आयु वर्ग के पुरुष शामिल थे जो जेयू के छात्र नहीं थे.

शाम 6 बजे के आसपास, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़, जो जेयू के चांसलर भी हैं, ने सुप्रियो को बाहर निकालने के लिए कैंपस में प्रवेश किया. जैसे ही राज्यपाल के प्रवेश के लिए द्वार खोले गए, पुलिस का बैरिकेड टूट गया और एबीवीपी के सदस्य एसिड बल्ब, पेट्रोल बम और डंडे लेकर विश्वविद्यालय में घुस गए. उन्होंने छात्र संघ के कमरे में तोड़फोड़ की, जो कुछ भी उन्हें मिला उसे तहस—नहस कर दिया और गेट के सामने आग लगा दी. वेबसाइट न्यूजलांड्री की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एबीवीपी के सचिव सुमन दास ने सभी आरोपों से इनकार किया. "स्वस्थ विरोध कोई समस्या नहीं है, लेकिन जब श्री सुप्रियो पहुंचे, तो वामपंथियों ने उन्हें शारीरिक रूप से अवरुद्ध कर दिया ... और मंत्री को छह घंटे तक रोक दिया. यह कैसा लोकतंत्र है? वे एक अफवाह फैला रहे हैं कि एवीबीपी ने हमला शुरू किया लेकिन यह सच नहीं है. ”

जेयू के एक प्रोफेसर कुणाल चट्टोपाध्याय ने कहा कि पूरी घटना पूर्वनियोजित थी और सुप्रियो "इस तैयारी के साथ आए थे कि चाहे छात्रों द्वारा किसी भी रूप में प्रतिरोध किया जाए, वे भड़काते रहेंगे." उन्होंने आगे कहा,"विभिन्न स्तरों पर, कोई भी राजनीतिक दल व्यवस्थित रूप से विश्वविद्यालय के अंदर हंगामा मचाने की कोशिश कर रहा है.” सदस्यों द्वारा साथ लाए गए हथियारों से लग रहा था कि सुप्रियो की हरकतें जानबूझकर की गईं और पहले से योजनाबद्ध थीं. इसके अलावा, एक नकली प्रतिनियुक्ति पत्र फेसबुक और व्हाट्सएप पर प्रसारित किया जा रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि यह जादवपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ का है. इस पत्र में कोई लेटरहेड या प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता नहीं है, जेयू से कई मांगें की गई हैं, जैसे कि श्रेष्ठ संस्थान का दर्जा और अनुदान. इस पत्र में एक पंक्ति भी है जो कहती है: “श्री बाबुल सुप्रियो, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री, भारत सरकार के माध्यम से."

छात्र संघ कक्ष को तहस—नहस करने के बाद, एबीवीपी की भीड़ ने अंडर ग्रेजुएट आर्ट्स बिल्डिंग में प्रवेश किया, नोटिस बोर्ड को तोड़ दिया और कक्षाओं के अंदर घुसने की कोशिश की. विश्वविद्यालय के तुलनात्मक साहित्य विभाग के एक प्रोफेसर पार्थसारथी भौमिक ने मुझे बताया कि वह एक बैठक में थे जब उन्होंने इमारत के बाहर चीख-पुकार सुनी. “हमने ढह सकने वाले फाटकों को बंद कर दिया और कक्षाओं में रोशनी बंद कर दी. लगभग सत्तर से अस्सी छात्र कक्षाओं में भीड़ द्वारा हमला किए जाने के डर से अपनी सांसें रोके बैठे थे,” उन्होंने कहा कि एक छात्रा चक्कर खा कर गिर पड़ी लेकिन “हमारे पास उसे कोई भी चिकित्सा सहायता देने का विकल्प नहीं था. हमने खुद को असहाय महसूस किया.” इस समय तक, धनखड़ ने सुप्रियो को परिसर से बाहर निकाल दिया था.

पोस्ट-ग्रेजुएट छात्र पाल ने मुझे बताया कि जैसे ही इस घटना की खबरें फैलने लगीं, "छात्रों को सोशल मीडिया पर बलात्कार और मौत की धमकी मिलनी शुरू हो गई" और विश्वविद्यालय की सुरक्षा के लिहाज से गंभीर रूप से समझौता किया गया है. "अब हम न केवल विश्वविद्यालय के बाहर बल्कि अंदर भी असुरक्षित महसूस करते हैं." पाल के अनुसार, "भाजपा ने कुशलतापूर्वक ऐसी कहानी गढ़ ली है और जो भी छात्र उनकी स्थिति को लेकर सवाल उठाता है उसे आरोपित कर दिया जाता है." लेकिन उनके शब्दों में एक चुनौती का भाव भी था. उन्होंने कहा कि "घटना ने निश्चित रूप से छात्रों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है, लेकिन साथ ही अधिकारियों को एक चेतावनी भी दी है कि उत्पीड़न का विरोध किया जाएगा."

सोमवार को मानव श्रृंखला की अग्रिम पंक्ति में खड़े प्रोफेसर सामंतक दास, हालांकि इसके लिए, जेयू छात्रों को भी जिम्मेदार ठहराते हैं और मानते हैं कि अगर छात्रों ने संयम दिखाया होता तो स्थिति इस स्तर तक नहीं बढ़ पाती. “मेरा मानना है कि उच्च शिक्षा संस्थान के रूप में, हमें विरोध करते हुए भी कुछ नियमों का पालन करना चाहिए. निस्संदेह, बाबुल सुप्रियो ने उकसावे की कार्रवाइयां की थीं और उन्होंने हमारे वीसी के साथ जिस तरह का व्यवहार किया, उसकी मैं कड़ी निंदा करता हूं. लेकिन, जिस तरह से हमारे छात्रों ने असंतोष व्यक्त किया वह विरोध प्रदर्शन का सही तरीका नहीं था.”

दास जेयू के छात्रों और एबीवीपी के सदस्यों की समान रूप से गलती मानते हैं. "आम धारणा में और मीडिया में घटना की कवरेज के कारण, हमारे छात्र विशिष्ट रूप से खराब दिख रहे हैं." दास के अनुसार, सुप्रियो और राज्यपाल ने "अपने कार्यालयों की गरिमा" को अपमानित किया लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि "छात्र भी उसी तरीके से व्यवहार कर सकते हैं जो अशोभनीय और असभ्य है.” हालांकि, यह स्पष्ट है कि वह जेयू की प्रतिष्ठा को बनाए रखने की इच्छा से किया गया था. "हम में से कई शिक्षकों ने छात्रों के उस दिन विरोध प्रदर्शित करने के तरीके का समर्थन नहीं किया लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम विश्वविद्यालय की सुरक्षा के लिए आगे नहीं आएंगे." उन्होंने मुझे बताया कि सोमवार को मानव श्रृंखला बनाने वाले सभी प्रोफेसर भाजपा विरोधी नहीं हैं. लेकिन हम सभी विश्वविद्यालय को तबाही से बचाने की अपनी इच्छा में एकजुट थे. ”

जादवपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ने शुक्रवार को बैठक कर स्थिति और कार्रवाई की आगे की रूपरेखा पर चर्चा की. शिक्षक परिसर के अंदर विरोध करने के लिए छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकार के समर्थक थे और उन्होंने फैसला किया कि विश्वविद्यालय प्रशासन को भविष्य में ऐसी किसी भी घटना को रोकने के लिए अधिक सक्रिय और सतर्क होना चाहिए जो छात्रों के जीवन को खतरे में डाल सकती है. भौमिक ने मुझे बताया कि "मुझे नहीं पता कि किसने किसको उकसाया, कौन गलती पर है लेकिन मुझे यह जानने की जरूरत है कि मेरे छात्र परिसर के अंदर दुबारा इस खतरे को महसूस न करें."