"दलित, आदिवासी और ओबीसी के कंधे पर बंदूक रख कर जम्मू-कश्मीर की जनता पर निशाना साध रही सरकार”, कलसोत्रा

“हमारे राज्य से राज्य का दर्जा ही छीन लिया गया और इसे भारत का एक उपनिवेश बना दिया गया है.”
नवल किशोर कुमार
“हमारे राज्य से राज्य का दर्जा ही छीन लिया गया और इसे भारत का एक उपनिवेश बना दिया गया है.”
नवल किशोर कुमार

5 अगस्त को नरेन्द्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 को हटा कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया. इस सवाल पर राज्यसभा में बहस का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया था कि 370 “महिला विरोधी भी है, दलित विरोधी भी है, आदिवासी विरोधी भी है.” उन्होंने यह भी कहा कि 370 हटने के बाद कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बनने वाला है.” बहस के दौरान अमित शाह ने कहा, “वहां कितना प्रतिशत ओबीसी है? वहां पर ओबीसी को रिजर्वेशन ही नहीं मिल पाता है. ट्राइबल, दलित को राजनीतिक आरक्षण नहीं मिलता है इसलिए बहन मायावती की पार्टी ने इसका समर्थन किया है.”

लेकिन कलसोत्रा ने कहा कि संसद से अमित शाह ने झूठ बोला क्योंकि जम्मू-कश्मीर में आरक्षण का प्रावधान है. उन्होंने कहा, “हिंदुस्तान की हुकूमत हम दलितों, आदिवासियों और ओबीसी वर्ग के लोगों के कंधे पर बंदूक रखकर हम जम्मू-कश्मीर की जनता पर निशाना साध रही है.”

आर के कलसोत्रा ऑल इंडिया कॉन्फिडरेशन ऑफ एससी, एसटी, ओबीसी (जम्मू-कश्मीर) के अध्यक्ष हैं. वह 1990 से ही जम्मू-कश्मीर में एससी, एसटी और ओबीसी के अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं. अनुच्छेद 370 को हटाने के सरकार के फैसले पर कारवां के लिए नवल किशोर कुमार ने जम्मू में कलसोत्रा के आवास पर उनसे बातचीत की. दलित (रविदास) जाति से आने वाले कलसोत्रा सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी हैं.

नवल किशोर कुमार : जम्मू-कश्मीर में आरक्षण को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं. अभी 5 अगस्त 2019 को जब संसद में गृह मंत्री अमित शाह अनुच्छेद 370 को हटाए जाने की घोषणा कर रहे थे तब उन्होंने यह भी कहा कि अब जम्मू-कश्मीर के दलितों और पिछड़ों को आरक्षण लाभ मिल सकेगा. क्या वाकई में जम्मू-कश्मीर में आरक्षण का प्रावधान नहीं था?

आर के कलसोत्रा : मैं खुद हैरान हुआ जब मैंने यह पढ़ा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऐसा कहा है. वह झूठ बोल रहे हैं. हमारे प्रांत में सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान था. हालांकि यह सही है कि शेष भारत में आरक्षण का लाभ उसी वक्त से मिलना शुरू हुआ जब संविधान लागू हुआ. लेकिन हमारे प्रांत में आरक्षण बीस वर्ष के बाद लागू हुआ. इसके लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा.

नवल किशोर कुमार फारवर्ड प्रेस हिंदी के संपादक हैं.

Keywords: Article 370 Article 35A Scheduled Castes Scheduled Tribes OBCs Jammu and Kashmir reservations
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