गीता पाठ के तीसरे दिन कथावाचक गोविंद मुदगल शास्त्री ने अपने झूमते हुए भक्तों से कहा कि जो कान गीता को नहीं सुनते, वे कान सांप के बिल के समान होते हैं. यहां शास्त्री मध्यकालीन ब्राह्मण कवि तुलसीदास रचित रामचरितमानस को उद्धृत कर रहे थे. इसके तुरंत बाद उन्होंने व्यास रचित महाभारत के हवाले से भक्तों को कहा कि, "तर्क की कोई प्रतिष्ठा नहीं होती. कोई कुछ कहता है और तुम उसमें अगर बार-बार तर्क करते रहोगे, तो तर्क वास्तव में अंत ही नहीं लेता." इस तरह वह भक्तों को समझा रहे थे कि गीता को अपने जीवन में अपनाने के लिए तर्क जरूरी नहीं है. फिर शास्त्री ने कृष्ण की कहानी को आगे बढ़ाया.
उनकी कहानियों में राजा है; उनकी आज्ञाकारी पत्नियां हैं; पिता और उनकी बेटियां हैं जिनमें से एक को प्यार मिलता है दूसरी को नहीं और गुरु-शिष्य हैं. ऐसे दर्जनों चरित्र एक के बाद एक कथानक में आते हैं. गीता के साथ-साथ शास्त्री अलग-अलग साहित्य से कई ऐसी ही कहानियां अपनी कथा में समाहित कर लेते हैं. मगर गौर से सुनें, तो इन कहानियों के दो सार समझ आएंगे. पहला यह कि, हर पात्र एक रूढ़िवादी समाज से आता है जो उस समाज में हर वर्ग के लिए निर्धारित नियमों से बंधा है. मिसाल के लिए अगर एक पत्नी है, तो उसके लिए पति की हर बात को मानना ही धर्म है. एक ब्राह्मण है तो समाज के सारे लोग उसे गुणी, धनी और चरित्रवान ही मानेंगे, और एक राजा है तो उसके लिए ब्राह्मण गुरु के आदेश पर चलाना ही आदर्श शासन है. दूसरी बात उनकी कथा में यह है कि उसके पात्रों के सभी दुखों और हर उलझन का समाधान ब्राह्मण गुरु के पास है. गीता का यह पाठ हाल ही में बिहार के नालंदा जिले में सात दिन तक चला. हर रोज शहर के कई निवासी शास्त्री की कथा में शामिल हुए और जिस तरह वे दोनों हाथ जोड़े शास्त्री को घंटो सुनते रहे, यह उम्मीद करना गलत नहीं होगा कि वे अपने घर जा कर उन नियमों को अपने जीवन में उतारते होंगे.
गीता पाठ का यह आयोजन लोक जनशक्ति पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष रजनीश सिंह और उनकी पत्नी निधि सिंह करवा रहे थे. उनकी पत्नी निधि सिंह हाल ही संपन्न हुए नगर निकाय चुनाव में उप महापौर की प्रत्याशी थीं. हालांकि वह चुनाव हार गईं मगर उन्हें बीस हजार मत प्राप्त हुए जो एक प्रत्याशी के लिए अच्छा प्रदर्शन माना जा सकता है. सिंह ने कहा कि उन्होंने अपनी पत्नी के समर्थकों का धन्यवाद करने के लिए गीता का पाठ करवाया. उन्होंने कथावाचक शास्त्री के साथ उनके पिता मुदगल शास्त्री को भी वृंदावन से बुलवाया था.
कथावाचक आम तौर पर हिंदू धर्म साहित्यों के जानकार ब्राह्मण होते हैं जो इनका प्रचार-प्रसार या तो निजी तौर पर करते हैं या इस तरह के बुलावे पर. मुदगल शास्त्री ने गीता पाठ का आयोजन कराने के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि सिंह दंपति धार्मिक विचारों के व्यक्तित्व हैं और क्योंकि वे जनता के प्रतिनिधि हैं तो उन्होंने समाज में भी अपने विचारों को फैलाने का सोचा. कथा के दरम्यान भी गोविंद ने रजनीश को यह कहते हुए धन्यवाद दिया कि वह बड़े यशश्वी हैं क्योंकि उन्होंने चुनाव हार कर भी कथा का आयोजन करवाया. शास्त्री के पाठ के बीच में रजनीश के राजनीतिक व्यक्तित्व की तारीफ करना उनकी पत्नी के लिए बेशक समर्थन बढ़ाने में मददगार होगा. सिंह के गीता पाठ के कार्यक्रम में नव निर्वाचित मेयर अनीता देवी और उनके पति मनोज तांती भी शामिल हुए. तांती सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) के बुनकर मोर्चा के अध्यक्ष भी हैं.
पाठ का आयोजन निकाय चुनाव के दो सप्ताह बाद मकर संक्रांति के दिन शुरू हुआ था. पहले दिन सिंह दंपती ने अपने सिर पर मटक रख कर शहर में घूम कर गीता पाठ के शुरू होने का प्रचार किया था. सिंह दंपति से सप्ताह भर पहले ही शहर के भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुनील कुमार ने भी गीता पाठ का आयोजन शहर के दूसरे कोने में किसी और कथावाचक से करवाया था. कुमार ने अपने गीता श्रवण की तस्वीर अपने फेसबुक पर लगाते हुए लिखा कि वह ऐसा "समाज और राष्ट्र की शांति के लिए" कर रहे हैं.
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