अर्धकुंभ में वीएचपी की धर्म संसद का बहिष्कार करेंगे साधु

राम मंदिर अध्यादेश पर मोदी की टिप्पणी से नाराज प्रमुख साधुओं ने प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद का बहिष्कार करने की धमकी दी है.
दानिश सिद्दिकी /रॉयटर्स
राम मंदिर अध्यादेश पर मोदी की टिप्पणी से नाराज प्रमुख साधुओं ने प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद का बहिष्कार करने की धमकी दी है.
दानिश सिद्दिकी /रॉयटर्स

प्रयागराज में जारी अर्धकुंभ मेले के अवसर पर 31 जनवरी और 1 फरवरी को होने वाली विश्व हिंदू परिषद की दो दिवसीय धर्म संसद की प्रमुख साधुओं ने बहिष्कार करने की धमकी दी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राम मंदिर अध्यादेश पर हाल की टिप्पणी के विरोध में साधुओं ने यह धमकी दी है. समाचार एजेंसी एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में मोदी ने न्यायिक प्रक्रिया जारी रहने तक अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश की संभावना को नकार दिया था. मोदी ने साक्षात्कार में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर कहा था “अदालत में सुनवाई चल रही है और सरकार उस प्रक्रिया के समाप्त होने तक इंतजार करेगी, एक बार अदालत में फैसला हो जाने के बाद जो भी सरकार की जिम्मेदारी बनेगी, सरकार उसे पूरा करने का प्रयास करेगी.”

मोदी का यह बयान संघ की मान्यता के विपरीत है. आगामी लोक सभा चुनाव से पहले संघ संवेदनशील राम जन्मभूमि मामले को हवा देना चाहता है. पिछले दिनों उसने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए केन्द्र सरकार से अध्यादेश लाने की बात पर जोर दिया है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए धर्म सभा बेहद महत्वपूर्ण है. वीएचपी के इस आयोजन का एकमात्र एजेण्डा राम मंदिर है. इस संसद का उद्देश्य राम मंदिर निर्णय की तारीख की घोषणा करना और सरकार से इस काम के लिए मदद मांगना है.

मोदी की उस टिप्पणी के बाद साधुओं को मनाने के लिए वीएचपी ने लंबा अभियान चलाया है. कोर कमिटी के सदस्य चंपत राय, राजेन्द्र सिंह पंकज, जिवेश्वर मिश्रा, अशोक तिवारी, दिनेश, विनायकराव देशपांडे और रास बिहारी समेत कईयों ने साधुओं को यह कह कर मनाने की कोशिश की है कि संघ परिवार राम मंदिर निर्माण के मामले में ईमानदार है.

लेकेन अयोध्या के प्रमुख साधु अभी भी वीएचपी की धर्म संसद से दूर रहने पर अड़े हुए हैं. साथ ही आरएसएस के पूर्व प्रचारक सहित महत्वपूर्ण माने जाने वाले कई धार्मिक नेता भी संसद का बॉयकाट करने की योजना बना रहे हैं

आरएसएस के पूर्व प्रचारक से साधु बने यतिन्द्रनाथ गिरी का कहना है कि यदि संपूर्ण संघ परिवार एक स्वर में बात करता है तो वे वीएचपी के कार्यक्रम में सहभागी होंगे. गिरी कहते हैं, “जब प्रधानमंत्री स्वयं कह रहे हैं कि वे अध्यादेश नहीं लाएंगे तब हमें क्या पड़ी है धर्म संसद में अपना समय नष्ट करने की?” गिरी वीएचपी की शीर्ष समिति, केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल, के भी प्रमुख सदस्य हैं. साथ ही वे साधुओं के उग्र पंथ ‘जूना अखाड़ा’ के शीर्ष साधु यानी महामंडालेश्वर हैं.

Keywords: Babri Masjid RSS Ram temple sadhus VHP Nirmohi Akhara Narendra Modi
कमेंट