कारवां बातचीत हिंदी टॉक शो है जिसमें राजनीति, संस्कृति और समाज से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर होस्ट विष्णु शर्मा हर पखवाड़े पत्रकारों, लेखकों, विशेषज्ञों और संपादकों से बातचीत करते हैं.
कारवां बातचीत में इस बार पत्रकार और लेखक वैभव वत्स से हिंदू बहुसंख्यकवादी सांप्रदायिकता के बदलते स्वरूपों पर बातचीत. वत्स ने गुरुग्राम नमाज विवाद पर कारवां के फरवरी अंक में एक लंबी रिपोर्ट की है.
आज भारत और दुनिया भर में ऑल्ट राइट का उभार हो रहा है. वत्य के अनुसार, “जो लोकल ecosystem में अथवा establishment में अपनी जहग नहीं बना पाते हैं वो establishment से भी ज्यादा रेडिकल हो कर अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं.”
वत्स का कहना है कि साल 2000 से पहले “सांप्रदायिक दंगों में नाम आने के बाद नेता इस्तीफा दे देते थे लेकिन गुजरात में जब मोदी ने ऐसा नहीं किया और बाद में वह प्रधानमंत्री भी बन गए तो लोगों को लगता है कि यह राजनीति में आगे बढ़ने का जरिया है.” वत्स मानते हैं कि समाज में "नरसंकार का विचार" गहरे तक पैठ बना चुका है.