फरवरी 2011 में अखिलेश को औपचारिक तौर पर पार्टी के यूपी राज्य का अध्यक्ष चुन लिया गया. अगले महीने ही पार्टी ने, बीएसपी पर निशाना साधते हुए “बिगड़ती कानून व्यवस्था, महिलाओं के खिलाफ अपराध” और व्यापक भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर एक विशाल अभियान छेड़ दिया. मायावती ने, मानो अपनी सरकार के खिलाफ इन आरोपों की पुष्टि करते हुए, दमनकारी कदम उठाए. उस साल मार्च के महीने में, उन्होंने मुलायम और अखिलेश को अपने घरों में नजरबंद कर दिया. लेकिन इसका विपरीत असर पड़ा. राज्य भर में इस गिरफ्तारी के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए और मामला संसद तक जा पहुंचा.
बीएसपी को उन्हें छोड़ना पड़ा, लेकिन उन्होंने अगले दस दिनों में अखिलेश को दो बार और गिरफ्तार किया. मनीष तिवारी और राजन पांडे ने अपनी किताब बैटलग्राउंड यूपी में लिखा, मायावती सरकार “समाजवादी पार्टी के हजारों हजार कार्यकर्ताओं को नियंत्रण में नहीं रख पा रही थी, जो राज्य के विभिन्न शहरों में पुलिस चेतावनी के बावजूद, मायावती का पुतला जलाने के लिए निकल आए थे. पार्टी दफ्तर में बैठे अखिलेश को राज्य भर से समाजवादी कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शनों की खबरों के लगातार फोन आए जा रहे थे. यादव अपनी पार्टी के शक्ति प्रदर्शन से खुश थे. पार्टी के अन्दर भी संतोष का भाव था. नए नेतृत्व ने आखिरकार यह मुमकिन कर दिखाया था.”
अखिलेश के अभियान में पीछे-पीछे मोटरों के काफिले के साथ, प्रदेश के देहाती इलाकों से गुजरते हुए एक साइकिल यात्रा भी शामिल थी. राज्य सरकार ने उन्हें नए नोएडा-आगरा एक्सप्रेसवे से गुजरने की इजाजत नहीं दी. “भैय्या ने फिर हमसे कहा, चलो फिर फ्लाईओवर के नीचे से होते हुए मिट्टी वाले रास्ते से चलते हैं,” अखिलेश के साथ यात्रा में शामिल आनंद भदुरिया ने कहा. “उन्होंने कहा एक दिन वे इस एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करेंगे. जो उन्होंने किया भी.” उनकी यात्रा के दौरान, अखिलेश के सौतेले भाई, प्रतीक ने लखनऊ के जानेमाने पत्रकार की बेटी अपर्णा बिष्ट से शादी रचा ली. अपर्णा भी एक पहाड़ी ठाकुर हैं, लेकिन जैसे कि शायद उम्मीद भी थी, इस बार मुलायम को इस मेल से कोई ऐतराज नहीं था.
आशीष यादव, जो अब पार्टी के मीडिया मैनेजर हैं, ने मुझे बताया, मार्च 2012 में मतगणना वाले दिन मुलायम ने उनसे तीन बार पूछा कि क्या हम जीतेंगे. उसी शाम जब नतीजे घोषित हुए, जायद खान पार्टी मुख्यालय में अखिलेश को मुबारकबाद देने पहुंचे. “क्या आप जानते थे वे कौन थे?” आशीष ने अखिलेश से पूछा. भावी मुख्यमंत्री ने सिर हिलाकर हामी भरी और 2008 की उनकी फिल्म फैशन का डायलाग दोहराया, “कहते हैं सक्सेस की सीड़ी चड़ते हुए जिन लोगों से मुलाकात होती है, वही लोग फिर से सीड़ी उतरते हुए भी मिलते हैं.”
(कारवां के सितंबर 2015 अंक में प्रकाशित कवर स्टोरी का अंश. पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)