छत्तीसगढ़ में 2023 विधानसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण का मतदान 17 नवंबर को समाप्त हो गया. कारवां की स्टाफ राइटर निलीना एमएस ने बस्तर से विधायक और प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख दीपक बैज से बात की. बैज चित्रकोट से चुनाव लड़ रहे हैं. यह बस्तर में अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र है. बैज ने 2013 और 2018 के विधानसभा चुनावों में सीट जीती थी और 2019 में बस्तर से संसद के लिए चुने गए थे. उन्होंने कांग्रेस के अभियान और भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार की नीतियों पर चर्चा की, खासकर हिंदुओं के लिए इसके प्रयासों के बारे में जो भारतीय जनता पार्टी की हिंदुत्व की राजनीति जैसा दिखता है. इसके अलावा राज्य में आदिवासियों के भूमि-अधिकारों से संबंधित पार्टी की नीतियों पर भी चर्चा हुई, जिन्हें पार्टी ने बड़े वादों के बावजूद दरकिनार कर दिया है.
नीलिना एमएस : जिन सभी कांग्रेस नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं से मैंने बात की वे सभी चुनाव में पार्टी की जीत को लेकर बहुत आश्वस्त लगे. क्या यह आत्मसंतोष जैसी बात नहीं है?
दीपक बैज : कोई आत्मसंतुष्टि नहीं है. मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित हमारे सभी वरिष्ठ नेता यहां प्रचार कर रहे हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पूरे प्रदेश में बैठकों में शामिल हो रहे हैं. मैं कहूंगा कि अभियान में कोई समस्या नहीं है.
नीलिना एमएस : किसानों के मुद्दे राज्य में अभियानों के केंद्र में रहे हैं. कांग्रेस ने इस बार किसानों के लिए योजनाओं पर क्यों फोकस किया है?
दीपक बैज : छत्तीसगढ़ किसानों की भूमि है. यहां खेती एक मजबूत स्तंभ है जो राज्य की अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा योगदान देता है. इसीलिए हमने पिछले चुनाव में सत्ता में आने पर किसानों के लिए ऋण माफी और धान के लिए 2500 रुपए प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य रखा था. इस बार भी हमने ऋण माफी और 3200 रुपए प्रति क्विंटल धान का एमएसपी लागू करने का वादा किया है.
निलेना एमएस : भूपेश बघेल सरकार ने छत्तीसगढ़िया पहचान के विचार पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला कैसे लिया?
दीपक बैज : देखिए, छत्तीसगढ़िया संस्कृति की रक्षा करना सबके लिए बहुत जरूरी है. बीजेपी सरकार ने अपने शासनकाल में छत्तीसगढ़ी संस्कृति को खत्म कर दिया है. लेकिन हमारी सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ी संस्कृति को सामने लाए हैं. चाहे वह आदिवासी संस्कृति हो या तीज-तीवर जैसे छत्तीसगढ़ी त्योहार, हमारी सरकार ने इसे महत्व दिया है. छत्तीसगढ़ी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए एक नई प्रेरणा और ऊर्जा आई है.
नीलिना एमएस : राम वन गमन पथ का निर्माण, रामायण के आसपास समारोह और गाय के गोबर की खरीद सहित इनमें से कुछ नीतियों को हिंदुत्व की राजनीति को अपनाने के कारण आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
दीपक बैज : देखिए, बीजेपी कोई काम नहीं कर रही है बल्कि राम के नाम पर वोट मांग रही है. हमने राम के नाम पर कभी वोट नहीं मांगा और अब भी नहीं मांग रहे हैं. हमारी सरकार ने कौशल्या मंदिर के नवीनीकरण सहित राम वन गमन पथ पर काम शुरू कर दिया है. हमने गायों के भरण-पोषण के लिए गोधन न्याय योजना भी शुरू की है. हमने वे काम किए हैं जो बीजेपी पिछले पंद्रह सालों में नहीं कर पाई. इसलिए वे [मतदाता] समझेंगे कि जब राम के नाम पर वोट मांगने और जमीन पर काम करने की बात आती है तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच क्या अंतर है.
नीलिना एमएस : ये योजनाएं महानदी बेसिन के साथ राज्य के मध्य भागों में काम करती दिख रही हैं, लेकिन राज्य के आदिवासी बहुल उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में उतनी नहीं. आदिवासी कार्यकर्ताओं और नेताओं के खिलाफ भूमि अधिकार और पुलिस मामलों के मुद्दों पर भी असंतोष है. क्या आपको लगता है कि आप इन निर्वाचन क्षेत्रों में सीटें बरकरार रख पाएंगे?
दीपक बैज : आदिवासी बहुल क्षेत्र बस्तर और सरगुजा दोनों में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करेगी. हमारी सरकार ने जल, जंगल, जमीन पर अधिकार दिया है. हमारे सत्ता में आने के बाद से नक्सली बैकफुट पर हैं. न तो कोई फर्जी मुठभेड़ हुई है और न ही नक्सली होने के नाम पर निर्दोष आदिवासियों को जेल भेजा गया है. हमने तेंदू पत्ते के लिए खरीद मूल्य दिया [तेंदू पत्ता अक्सर बीड़ी बनाने में उपयोग किया जाता है, क्षेत्र में वन-आधारित समुदायों के लिए आय का एक प्राथमिक स्रोत हैं]. टाटा स्टील परियोजना के लिए बीजेपी सरकार में जो जमीन कब्जाई गई थी, उसे हमने वापस कर दिया है. हमने इमली, महुआ और तोरा जैसे वन उत्पादों की दर भी बढ़ा दी है. हमने आदिवासियों की आजीविका में सुधार के लिए बहुत काम किया है.
नीलिना एमएस : नवगठित “हमार राज पार्टी”, जो एक प्रमुख आदिवासी समूह है, भूमि अधिकार से लेकर पुलिस अत्याचार तक इन्हीं मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है. इस बार चुनावी राजनीति में उनके प्रवेश और उनके प्रभाव को आप किस तरह देखते हैं?
दीपक बैज : इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. आदिवासी समुदायों ने पेसा लागू करने की मांग की थी. हमारी सरकार ने इसे पूरा किया है. आदिवासियों ने जो भी मांग की थी, वह हमारी सरकार ने पूरी की है. “हमार राज पार्टी” हमारे आदिवासी इलाकों में कोई फर्क नहीं डाल पाएगी. [अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए पारंपरिक ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन की अनुमति देने के लिए बनाए गए पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम को पूरी तरह से लागू करना, इस क्षेत्र के आदिवासियों की मुख्य मांग रही है. आदिवासी कार्यकर्ताओं ने कहा है कि राज्य की कांग्रेस सरकार और केंद्र सरकार ने वादों के उलट, इस अधिनियम को कमजोर कर दिया है.]
नीलिना एमएस : लेकिन पेसा को कमजोर करने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं. इस मुद्दे पर पूर्व पंचायती राज मंत्री टीएस सिंह देव ने इस्तीफा दे दिया था. आदिवासी बहुल इलाकों में ये मुद्दे अहम हैं.
दीपक बैज : नहीं, इसके बजाए हमने इन आदिवासी क्षेत्रों में पेसा को अत्यधिक महत्व दिया है. जब पेसा की बात आती है तो हमने दरवाजे खुले रखे हैं. अगर कोई ऐसा पहलू है जो आदिवासियों के हितों के खिलाफ है, तो हम उसे हटा देंगे. अगर कुछ जोड़ने की बात होगी तो हम वो भी करेंगे. हमने ये दोनों चीजें खुली रखी हैं. इसमें कोई कठिनाई नहीं है.
नीलिना एमएस : जब नारायणपुर और कोंडागांव जैसे क्षेत्रों में आदिवासी ईसाइयों के खिलाफ हिंसा का सवाल आता है, तो हालांकि बीजेपी पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया है, लेकिन कांग्रेस इसका समाधान करने में विफल रही है.
दीपक बैज : देखिए, बीजेपी के पास उठाने के लिए कोई वास्तविक मुद्दा नहीं है. वे आदिवासियों को एक-दूसरे के खिलाफ, भाइयों को एक-दूसरे के खिलाफ लड़ाने की कोशिश करते हैं. बहुत ही पूर्व नियोजित तरीके से उन्होंने इन मुद्दों को पैदा करने का प्रयास किया था ताकि वे हमारी सरकार के तहत आदिवासी क्षेत्रों में शांति भंग कर सकें. बीजेपी बस्तर जैसे इलाके में शांति नहीं चाहती. वे चाहते हैं कि आदिवासी एक-दूसरे के खिलाफ लड़ें और सड़कों पर आएं जैसा कि उनकी सरकार के तहत हुआ था. [हिंदू दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ में आदिवासी ईसाइयों को निशाना बनाने के लिए मौजूदा कानूनों का दुरुपयोग किया है और इन समुदायों को वन क्षेत्रों से बाहर धकेल दिया है.]
नीलिना एमएस : कांग्रेस सरकार ने पिछले पांच सालों में माओवादी हिंसा के मुद्दे के समाधान के लिए क्या किया है?
दीपक बैज : हमारी सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी, सड़क और राशन सुविधाओं को उन क्षेत्रों में ले जाने पर ध्यान केंद्रित किया जहां यह पहले नहीं पहुंची थीं, [जैसे] बस्तर के अंदरूनी इलाकों में, ताकि लोग सरकार पर भरोसा करना शुरू कर दें.