मिशनरी ऑफ जीसस मंडली की एक नन अल्फी पल्सेरिल ने 6 अप्रैल 2018 को अपने वरिष्ठ-जनरल को लिखा, “सिस्टर, अगर आप अन्याय के खिलाफ मजबूत नहीं हो सकती हैं तो बहनों को सजा देने को लेकर आप इतनी मजबूत कैसे हैं, वे बहनें जो सच और न्याय के साथ खड़ी हैं.” रोमन कैथलिक चर्च में वरिष्ठ-जनरल महिलाओं के धार्मिक पदक्रम में सबसे ऊपर होती हैं. जालंधर सूबे के तहत आने वाली मंडली मिशनरी ऑफ जीजस में इस पद पर रेजिना कदामोत्तु हैं. अल्फी और कदामोत्तु के बीच 3 और चिट्ठियों का आदान-प्रदान हुआ लेकिन इसके बाद दोनों की बातचीत ने अप्रत्याशित मोड़ ले लिया. 20 जून को कदामोत्तु ने लिखा, “मैंने सूबे द्वारा शिकायत की एक कॉपी प्राप्त की है जिसे केरल प्रशासन को दिया गया है, इसमें आपके ऊपर षडयंत्र के आरोप लगाए गए हैं जिसमें कहा गया है कि आप अपने ही सरंक्षक और जालंधर सूबे के बिशप मुलक्कल को मारना चाहती हैं.”
उस दिन मंडली की चार और ननों को ऐसा की एक पत्र मिला. इनमें अनुपमा केलामंगलाथुवेलियिल, नीना रोज, जोसेफिन विलोनिक्कल और एनसिट्टा उरुम्बिल शामिल थीं. एक साल से अधिक से ये 5 ननें फैंको मुलक्कल के खिलाफ एक कठिन लड़ाई लड़ रही हैं. मुलक्कल जालंधर सूबे के बिशप हैं. पांचों नन मिशनरी ऑफ जीजस की एक नन के समर्थन में ये लड़ाई लड़ रही हैं. इस नन ने मुलक्कल पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. अल्फी ने कदामोत्तु पर ननों द्वारा की गई शिकायत को अनसुना कर देने का आरोप लगाया. अल्फी ने लिखा, “सिस्टर्स आपकी चुप्पी हमेशा पवित्र नहीं होती है. ये हानिकारक है क्योंकि यह कई लोगों को नुकसान पहुंचा रही है.” द कारवां के पास इससे जुड़े दस्तावेज हैं. इनमें पता लगा है कि मुलक्कल और जालंधर सूबे में उनके करीबीयों ने यहां एक संस्कृति थोपी है. मिशनरी ऑफ जीजस के सदस्यों पर चुप्पी और आज्ञा पालन की ये संस्कृति थोपी गई है. द कारवां के पास मौजूद दस्तावेजों में पीड़ित नन, पांच और ननों और कदामोत्तु द्वारा भेजी गई असंख्य चिट्ठियां शामिल हैं.
23 जनवरी को मैंने केरल के कोट्टायम जिले के कुराविलानगढ़ शहर तक का सफर किया और सैंट फ्रांसिस मिशन होम पहुंची. ये मिशनरी ऑफ जीजस का एक कॉन्वेंट है. यहीं ये 6 ननें रह रही हैं. पिछले साल जून से कुराविलानगढ़ की पहचान नन द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों से होने लगी है. उसी महीने 43 साल की पीड़ित नन ने मुलक्कल के खिलाफ 13 बार अलग-अलग यौन हिंसा करने का मामला दर्ज करवाया था. मुलक्कल के ऊपर 2014 से दो सालों के दौरान इस यौन हिंसा को अंजाम देने का आरोप है.
पीड़ित ने पुलिस के पास जाने का फैसला अपने महीनों से किए जा रहे उन प्रयासों के बाद किया जिसके तहत उसने धार्मिक नेताओं के पास मामले को उठाने की कोशिश की थी. इसमें वे चिट्ठियां भी शामिल हैं जो जॉर्ज एलेनचेरी को भेजी गई थीं. वे सिरो-मालाबार चर्च के अहम आर्कबिशप हैं. आस्था के सिद्धांत की मंडली (इसे पवित्र कार्यालय के तौर भी जाना जाता है) के अधिकारी लुई लाडारिया फेरर को भी चिट्ठी भेजी गई और कैथोलिक चर्च के वर्तमान प्रमुख पोप फ्रांसिस को भी चिट्ठी भेजी गई. 14 मई 2018 को पीड़िता ने पोप को लिखा, “एक धार्मिक नन के तौर पर मैं अपनी पीड़ा को आपके सामने रखना चाहूंगी क्योंकि बिशप फ्रैंको मुलक्कल ने मेरे साथ लगातार यौन हिंसा और उत्पीड़न किया है.” पीड़िता ने लिखा कि मुलक्कल ने पहली बार उनका रेप 5 मई 2014 को तब किया था जब वे कुराविलानगढ़ कॉन्वेंट के दौरे पर आए थे. पीड़िता ने लिखा, “मैं डरी और सहमी हुई थी और खतरनाक डर की वजह से मैं इस दर्द को किसी से साझा नहीं कर पाई. लेकिन पूर्व बिशप ने ऐसा करना बाद में भी जारी रखा. उसके बाद पीड़िता ने सितंबर 2016 में बिशप को न कहने की हिम्मत जुटाई.”
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