1918 से 1938 के बीच छायावादी काल के चार प्रमुख कवियों को — जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और महादेवी वर्मा — आलोचकों ने 'छायावादी' नाम दिया है.
पारिवारिक एल्बमों और अन्य वस्तुओं से बना यह संग्रहालय दक्षिणी मुंबई के ईसाई समाज की सामूहिक स्मृति को दर्शाता है.